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परिवादी पर ही एफआइआर का आदेश

जमुई। अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 07:36 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 07:36 PM (IST)
परिवादी पर ही एफआइआर का आदेश
परिवादी पर ही एफआइआर का आदेश

जमुई। अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनयम 2016 में जो प्रावधान वर्णित नहीं है पदाधिकारी ने वह तुगलकी फरमान जारी करते हुए अनुमंडलीय लोक शिकायत केंद्र ने परिवादी एवं दो अन्य के खिलाफ एफआइआर का आदेश पारित किया है। हैरत की बात तो यह कि उक्त परिवाद की सुनवाई 60 की जगह 167 दिन में पूरी हुई। अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीमा कुमारी से संपर्क साधने का प्रयास निष्फल साबित हुआ।

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आवास योजना में गड़बड़ी की दर्ज कराई थी शिकायत :

लक्ष्मीपुर प्रखंड के मोहनपुर पंचायत अंतर्गत मोहनपुर गांव निवासी महेन्द्र दास ने प्रधानमंत्री आवास योजना में लक्ष्मीपुर के बीडीओ पर नियमों का उल्लंघन कर गलत तरीके से नौरंगी मिस्त्री सहित अन्य को लाभ देने की शिकायत अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण केन्द्र जमुई में 25 सितम्बर को की थी।

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जिस पर था आरोप उसी ने की मामले की जांच :

मजेदार पहलू यह है कि जिसके विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई थी उसी को जांच की जिम्मेवारी दे दी गई। सुनवाई के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जो प्रतिवेदन दिया उसमें प्रतिवादी द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किए जाने की बात कही गई। साथ ही जो मोबाइल नम्बर अंकित किया गया था वह परिवादी का नहीं था। लिहाजा, परिवादी महेन्द्र दास जिसके नाम मोबाइल का सिम कार्ड था वैजनाथ पंडित तथा रविन्द्र दास को संयुक्त रूप से षडयंत्र के तहत बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम 2015 का दुरुपयोग करने तथा पदाधिकारियों तथा कर्मियों को परेशान करने की नीयत से परिवाद दायर किया गया था। इसलिए इन सबों के विरुद्ध लक्ष्मीपुर बीडीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश पारित किया गया।

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167 दिन में सुनवाई हुई पूरी :

लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम 60 दिन के भीतर सुनवाई पूरी करनी है। इसके विपरीत 25 सितम्बर को प्रतिवादी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद कई तारीख में बीडीओ उपस्थित नहीं हुए और इसकी सुनवाई 167 दिन बाद 12 मार्च को पूरी हुई। यह पूरा प्रकरण लोक शिकायत निवारण कानून का पालन कराने वाले हाकिमों को सवालों के कठघरे में खड़ा कर रहा है।


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