जिले में पानी के लिए मचेगा हाहाकार, नौ फीट नीचे खिसका जलस्तर
जमुई। जिले में एक दर्जन डैम डेढ़ दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी नदियां और पांच हजार से अधिक ताल-तलैया होने के बाद भी जमुई वासियों के लिए बुरी खबर है।
जमुई। जिले में एक दर्जन डैम, डेढ़ दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी नदियां और पांच हजार से अधिक ताल-तलैया होने के बाद भी जमुई वासियों के लिए बुरी खबर है। भगवान इंद्र की थोड़ी बेरुखी क्या हुई, पानी के लिए हाहाकार मचने के संकेत मिल रहे हैं। कुछेक क्षेत्रों में तो जल संकट अभी से ही उत्पन्न हो चुके हैं और लोग पानी के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं। आलम यह है कि चकाई और अलीगंज प्रखंड में जल स्तर 8 से 9 फीट नीचे खिसकने का आंकड़ा दर्ज किया गया है। बीते वर्ष जिले का औसतन जल स्तर 24 फीट दर्ज किया गया था। वहीं, इस वर्ष औसतन जल स्तर 31 फीट दर्ज किए गए हैं।
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केस स्टडी- 1
चकाई प्रखंड के चकाई बाजार, प्रखंड कार्यालय के सामने स्थित चापाकल का जल स्तर पिछले वर्ष 5 मार्च को 24 फीट दर्ज किया गया था। इस वर्ष 4 मार्च को उक्त चापाकल के जल स्तर में 9 फीट गिरावट दर्ज की गई और जल स्तर 33 फीट नीचे चला गया है। कमोवेश ऐसी ही स्थिति प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों की है।
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केस स्टडी- 2
जिले के इस्लामनगर अलीगंज प्रखंड की भी स्थिति ठीक नहीं है। बारिश के दिनों में पर्याप्त वर्षा नहीं होने का असर यूं तो पहले ही दिखने लगा था। अब रही-सही कसर सबमर्सिबल से पानी खींचने के कारण दिख रही है। यहां बाला पुरसंडा पंचायत के पुरसंडा गांव स्थित सामुदायिक भवन में जल स्तर 33.1 फीट दर्ज किया गया है, जबकि बीते वर्ष 24 फीट दर्ज किया गया था। कमोवेश सिकन्दरा, सोनो और खैरा प्रखंड की भी स्थिति ऐसी ही चिताजनक है।
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गिद्धौर, झाझा, लक्ष्मीपुर, बरहट के लिए राहत की खबर है। इन इलाके में जल स्तर नीचे सरका जरूर है लेकिन बारिश नहीं होने के कारण यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। अमूमन दो से तीन फीट तक अंतर दर्ज किया गया है।
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जिले में सूख गई नदियां और सूख गए ताल-तलैया :
जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक नदियां कार्तिक महीने में ही सूख गई। खरीफ फसल उगाने के चक्कर में ताल-तलैया भी सूखा दिए गए। डैम की स्थिति भी चिताजनक है। अक्टूबर के महीने में ही सभी डैम में जल स्तर डेथ स्टोरेज लेवल से नीचे चला गया।
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लूट-खसोट की नीति भी बन रहा अभिशाप :
जल संग्रह के लिए सरकार की योजनाओं में लूट-खसोट की नीति जिले के लिए अभिशाप बनती जा रही है। गिनती के लिए यहां पांच हजार से ज्यादा ताल-तलैया और आहर मौजूद हैं। जिले में भी आधा दर्जन से अधिक छोटे-बड़े डैम और डेढ़ दर्जन छोटी-बड़ी नदियां प्राकृतिक वरदान के रूप में मौजूद हैं। इन्हें सहेजने और संवारने के लिए प्रत्येक वर्ष जल छाजन, मनरेगा और लघु सिचाई विभाग से पांच सौ करोड़ से ज्यादा राशि खर्च की जाती है लेकिन परिणाम सामने है। पारंपरिक जलस्रोतों का समाप्त होना जल स्तर के तेजी से नीचे सरकने का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
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जल संचय ही जल स्तर गिरने से रोकने का सर्वश्रेष्ठ जरिया :
जल संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले रामाशीष सिंह बताते हैं कि वर्षा जल को संचय करने के साथ-साथ पौधरोपण ही जल स्तर को गिरने से रोकने का सर्वश्रेष्ठ जरिया है। इसके लिए सिर्फ फाइलों में योजनाओं को समेटने से नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को जल व पर्यावरण संरक्षण की शपथ लेनी होगी।
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फोटो- 14 जमुई- 52
जलाशय तैयार कर हरियाली की डाली बुनियाद :
कहते हैं कि कुछ लोग आंधियों में भी चिराग जलाने का हौसला रखते हैं। वैसे ही लोगों में जमुई के समाजसेवी भवानंद का नाम आता है। परिवार विकास के बैनर तले गिद्धौर प्रखंड के गुगुलडीह पंचायत सहित अन्य इलाके को जब उन्होंने चुना था तब वहां दूर-दूर तक बंजर भूमि दिखाई देती थी। कई जलाशय और पेयजल कूप का निर्माण के साथ-साथ बड़ी संख्या में पौधरोपण कर उन्होंने इलाके की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाई। अब उन इलाकों में जल स्तर अन्य इलाकों की अपेक्षा बेहतर है।