मनमर्जी से संचालित होता है स्कूल
जमुई। गुणवतापूर्ण शिक्षा के दावों के बीच स्कूलों की शैक्षणिक स्तर में आपेक्षित सुधार नजर नहीं आता।
जमुई। गुणवतापूर्ण शिक्षा के दावों के बीच स्कूलों की शैक्षणिक स्तर में आपेक्षित सुधार नजर नहीं आता। प्रथम एजुकेशन संस्था के अनुसार चकाई क्षेत्र के कई गांवों के स्कूलों में कक्षा छह में अध्ययनरत बच्चे ढंग से किताब तक नहीं पढ़ पाते। साधारण घटाव नहीं बना पाते। यह हाल सिर्फ चकाई का नहीं है। जिले के सुदूर इलाके के अधिकांश विद्यालय की यही स्थिति है। ग्रामीण व शहरी इलाके के स्कूलों की शैक्षणिक स्तर अपेक्षाकृत कुछ बेहतर है परंतु यह आदर्श से कोसों दूर है। इस सब के पीछे अनुपस्थिति सबसे बड़ी वजह बताई जाती है। अनुपस्थिति छात्रों की और शिक्षकों की। जानकारी के अनुसार सुदूर इलाकों में स्कूल के खुलने और बंद होने की रस्म भर होती है। बरहट के जंगली क्षेत्र में कभी-कभार ही बच्चों को गुरुजी का दर्शन हो पाता है तो चकाई, सोनो, झाझा, सिमुलतला सहित अनेक सुदूर इलाके में स्कूल खुलने का समय निर्धारित नहीं है। ट्रेन के समय पर स्कूल की घंटी बजती है। खैरा प्रखंड के प्रावि. ताड़ाटांड, उमवि खलारी, प्रावि जनकपुरा, प्रावि अहराडीह, प्रावि केरवातरी सहित दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं जहां स्कूल कभी-कभार ही खुलता है। चकाई प्रखंड के बोंगी, बरमरियां, पोझा, घुटवे, चौफला पंचायत के स्कूल मनमर्जी से खुलते हैं। इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ता है। बेहतर पढ़ाई नहीं हो पाने की स्थिति में बच्चे स्कूल जाने से परहेज करने लगते हैं तो अभिभावक भी लापरवाह बन जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में सुशिक्षित समाज की परिकल्पना बेमानी होगी। पदाधिकारियों के निरीक्षण में भी उपस्थिति की कलई खुल रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी व डीपीओ मध्याह्न भोजन के निरीक्षण में तीन स्कूल में चार शिक्षक अनुपस्थित पाए गए तो छात्रों की उपस्थित संतोषजनक नहीं थी। इस संबंध में डीईओ विजय कुमार हिमांशु ने बताया कि निरीक्षण में अनुपस्थित पाए जाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जा रही है। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर अभिभावकों को जागरूक करना होगा। साथ ही शिक्षकों को भी अपने दायित्व के प्रति गंभीर होना पड़ेगा।