अब नगर वासियों को कचरे से नहीं होगी परेशानी
जमुई। स्वतंत्रता दिवस तक स्वछता अभियान के आह्वान के बाद शहर की सूरत बदलने की उम्मीद बंधी है। एक तरफ नगर परिषद ने कूड़े के ढेर की संख्या कम करने की तैयारी की है।
जमुई। स्वतंत्रता दिवस तक स्वच्छता अभियान के आह्वान के बाद शहर की सूरत बदलने की उम्मीद बंधी है। एक तरफ नगर परिषद ने कूड़े के ढेर की संख्या कम करने की तैयारी की है। इससे कूड़ा जमा करने वाले जगहों पर जमा कचरे से राह चलते राहगीरों को परेशानी नहीं होगी। शहर को कचरे से निजात दिलाने का प्रयास नगर परिषद का जारी है।
कोरोना काल में हर दिन शहर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नगर परिषद के सफाई कर्मी अपने तय समयानुसार पर सफाई का कार्य कर रहे हैं। जिन गलियों में नगर परिषद का कूड़ा वाहन नहीं पहुंच पा रहा है वहां ट्रॉली मेन के सहारे कुड़े का उठाव कराया जा रहा है। ईओ अजित ने बताया कि कूड़ा उठाने में कर्मियों द्वारा लापरवाही नहीं की जा रही है। कर्मी स्वयं अपने नियत समय पर पहुंच कर कूड़े का उठाव कर करने में जुट जा रहे हैं। कूड़ा उठाव वाले जगह पर ब्लीचिग पाउडर तथा चूने का छिड़काव कराया जा रहा है। जिन इलाकों में जलजमाव की समस्या बनी है उन इलाकों में पम्प के सहारे पानी निकालने का काम भी किया जा रहा है। सभी सुपरवाइजर को अपने अपने इलाकों पर नजर बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। सुपरवाइजर को वार्डों में जाकर कूड़ा उठाव की स्थिति से अवगत होने का निर्देश दिया गया है। नगर परिषद जल्द ही डोर टू डोर कूड़ा उठाव करने की योजना पर पहल कर रही है। इसके लिए कूड़ा दान का वितरण भी जल्द ही किया जाएगा। दो पालियों में शहर की सफाई हो इस पर भी कार्य जल्द शुरू होगा।
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इनसेट
कचरे से आजादी
हर दिन हम बहुत बड़ी मात्रा में कचरा पैदा करते हैं और अपने पड़ोस में फेंक देते हैं। धीरे-धीरे यह कचरा हमारी मिट्टी और नदियों को गंदा करते हैं। अगर हम चाहें तो कचरे का उचित प्रबंधन करके इससे खाद और बिजली बना सकते हैं। देश के हर नागरिक को यह जिम्मेदारी लेनी होगी, सरकार व नगर परिषद को ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे जैविक पदार्थों को अलग करके रखा जा सके और उसका इस्तेमाल खाद के रूप में मिट्टी को स्वस्थ्य बनाने के लिये किया जा सके। इससे न सिर्फ हमारी मिट्टी अच्छी होगी, बल्कि देश के किसानों की स्थिति में भी सुधार होगा और शहर की सड़कें कचरामुक्त बन पायेंगे। 70 साल पहले भारत ने अंग्रेजों से आजादी पायी थी, अब वक्त है कि हम अपने जीवन, देश और लोगों को एक सुरक्षित, भयमुक्त वातावरण मुहैया करायें। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या है, जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है। क्या हम जलवायु परिवर्तन के संकटों से निपटने के लिये आजादी की इस मुहिम को शुरू करने के लिये तैयार हैं।
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कहते हैं विशेषज्ञ
शहर को कचरे से आजादी वर्तमान समय की पुकार: प्रो. गौरी शंकर :
देश में जब राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान भारत सरकार चला रखी है ऐसे में जमुई शहर कचरा का शहर बनते जा रहा है। जगह-जगह कचरा जमा रहता है। इसलिए जमुई में क्लीन-सिटी, ग्रीन-सिटी अभियान साल भर चलाना होगा। नगर परिषद को शहर के अमीर-गरीब सभी के घरों में सूखा कचरा और गीला कचरा का पात्र वितरित करना होगा। झोपड़ी से लेकर भवनों तक इन सुविधाओं को मुहैया कराना सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। नगर के प्रत्येक मोहल्ले में सड़कों के किनारे कचरा जमा पात्र भी रखना जरूरी है। सबसे जरूरी बात यह है कि कचरा पात्र सिर्फ मकान वाले को ही नहीं बल्कि मकान में किराए पर रह रहे किरायेदारों को भी प्रदान करना होगा। सभी को इस अभियान में तन मन से अपना सहयोग देना सुनिश्चित करना होगा। शहर से दो-तीन किलोमीटर की दूरी पर कचरा संग्रहण गृह का निर्माण करना निहायत जरूरी है, जहां शहर के कचरा को नगर परिषद द्वारा जमा किया जा सके।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुसार स्वच्छता ही अमरत्व प्रदान करती है। शहर को स्वच्छ बनाने में शहरवासियों की भी अहम भूमिका होनी चाहिए। देश में स्वच्छ भारत अभियान का सूत्रपात हो चुका है। इससे शहर वासियों को भी जुड़ना होगा। गंदे और दूषित दिमाग में क्लीन आइडिया नहीं हो सकता एक स्वच्छ निर्मल और पवित्र आदमी अपने आसपास गंदगी में कभी नहीं रह सकता है। अच्छे कार्य करने के लिए भी संपूर्ण स्वच्छता आवश्यक है। इसे बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी होनी चाहिए। जमुई शहर को स्वच्छ बनाने के लिए हर एक व्यक्ति को यह शपथ लेना होगा कि, हमेशा स्वच्छता के प्रति कटिबद्ध रहूंगा। बहुमूल्य समय में से कुछ घंटों का समय निकालकर इस सके लिए समर्पित करूंगा। किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलाऊंगा और नहीं तो किसी को गंदगी फैलाने दूंगा। 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान को लेकर देशवासियों को शायद यही शपथ दिलाई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत जैसे देश में 22 प्रकार की बीमारियां कचरे की देन है। इससे होने वाली बीमारियों के कारण एक व्यक्ति पर वार्षिक 6.50 हजार रुपये का आर्थिक बोझ आता है। देश के 6.40 लाख गांव में से 5.90 गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं।
शहर शहर को कचरे से आजादी वर्तमान समय की पुकार है। कचरा दो तरह के होते हैं सूखा कचरा और गीला कचरा। दोनों के लिए अलग-अलग कचरा जमा पात्र होना चाहिए। सूखा कचरा को सूखा पात्र में और गीला कचरा को गिला पात्र में डालना हर नागरिक को अपना कर्तव्य समझना होगा। शहर से बाहर पृथक पृथक कचरा जमा घर का निर्माण करना होगा जहां नगरपालिका के कचरा वाहन द्वारा जमा किया जा सके। इस कचरे का कंपोस्ट खाद के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।
जमुई शहर में कचरा निस्तारण और प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है जैसे-जैसे यहां की आबादी बढ़ रही है वैसे-वैसे कचरे की मात्रा भी निरंतर बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक शहरी भारतीय एक साल में औसतन 165 किलो कचरा उत्पन्न करता है। देश के 7880 छोटे नगर जितना कुल कचरा ( 82 हजार मैट्रिक टन प्रतिदिन) पैदा करते हैं इससे ज्यादा कचरा 53 बड़े शहर (88 हजार मैट्रिक टन) कचरा रोजाना उत्पन्न करता है।
जमुई शहर को संपूर्ण रूप से स्वच्छ बनाना आसान कार्य नहीं है। यह पिछड़ा जिला तो है ही यहां के लोगों की सोच भी वैसी ही बनती दिख रही है। यत्र तत्र गंदगी फैलाने में लोग आगे हैं। जमुई के हर चौक चौराहे पर डस्टबिन नगर पालिका के द्वारा लगाना निहायत जरूरी है। गंदगी फैलाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाना भी आवश्यक है। इस पर प्रशासन को पूरा ध्यान देना होगा चौकसी बरतनी होगी तभी जमुई क्लीन और ग्रीन शहर में परिवर्तित हो सकता है एवं गंदगी से मुक्त शहर बन सकता है।