मलिन बस्ती के बच्चों के बीच मुफ्त बांट रहे शिक्षा
जमुई। जो ब'चे कल तक गाय, भैंस, बकरी एवं सूअर चराते थे यह फिर गलियों में दौड़ते फिरते थे, आज ¨हदी-अंग्रेजी में कविता पढ़ते हैं।
जमुई। जो बच्चे कल तक गाय, भैंस, बकरी एवं सूअर चराते थे यह फिर गलियों में दौड़ते फिरते थे, आज ¨हदी-अंग्रेजी में कविता पढ़ते हैं। जोड़-घटाव और गुणा-भाग के साथ अखबार भी पढ़ते हैं। यह सब संभव हो पाया खैरा प्रखंड के चंद्रपुरा गांव के युवक अविनाश के प्रयास से।दो साल पूर्व इन बच्चों को देखकर अविनाश ने उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। आज वे समाज के अंतिम पायदान पर गुजर-बसर करने वाले मलिन बस्ती के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने के साथ अच्छे संस्कार की भी शिक्षा दे रहे हैं। कृषि से आइएससी की पढ़ाई कर रहे अविनाश को पिता प्रदीप ¨सह का साथ भी इसमें मिला।वे बताते हैं कि बचपन से उन वंचित समाज के बच्चों को पीड़ा देखी थी। निर्णय लिया कि इनके लिए कुछ करना है और वर्ष 2017 में इन बच्चों के लिए निश्शुल्क ज्ञान निकेतन के नाम से एक पाठशाला की शुरुआत कर दी। शुरुआत में तो कम बच्चे आए लेकिन जब अविनाश ने कॉपी, पेंसिल देकर बच्चों को पाठशाला में आने के लिए प्रोत्साहित किया तो संख्या में धीरे-धीरे इजाफा होने लगा। अब उनकी पाठशाला में 80 से 90 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए अविनाश ने किराए पर एक छत ले रखा है। बताते हैं कि ट्यूशन से जो धन इकट्ठा होता है उसे गरीब बच्चों को पढ़ाने में खर्च करते हैं। इससे मन को भी काफी राहत मिलता है।