Move to Jagran APP

सब्जी के मरहम से मिट रहा सुखाड का जख्म

जमुई। जिले में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो चकाई की महिलाओं ने सुखाड़ के जख्म को भरने के लिए सब्जी की खेती को मलहम के रूप में इस्तेमाल किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 06:35 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 06:35 PM (IST)
सब्जी के मरहम से मिट रहा सुखाड का जख्म
सब्जी के मरहम से मिट रहा सुखाड का जख्म

जमुई। जिले में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो चकाई की महिलाओं ने सुखाड़ के जख्म को भरने के लिए सब्जी की खेती को मलहम के रूप में इस्तेमाल किया। नतीजा यह हुआ कि लगभग 1700 महिलाएं सुखाड़ के जख्म से पार पा चुकी है और उन्होंने आय का बेहतर स्त्रोत हासिल कर लिया है। चकाई प्रखंड के तीन पंचायत सरौन, गजही व नावाडीह सिल्फरी में महिलाओं ने अर्थोपार्जन के लिए पुरुष से कदम मिलने के लिए कमर कस ली है। इन पंचायतों के पांडेयडीह, कुसमाहा, बगदघाटी, गोपीडीह, गादी सहित लगभग 25 गांव की महिलाएं सब्जी की खेती से जुड़ी हैं। इन महिलाओं को जीवन मार्शल महिला संघ नामक संस्था सहायता करती है। प्रशिक्षण सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ समूह में खेती व लाभ का गुर सिखाती है। इस खरीफ मानसून में मकई की फसल की जगह महिला किसान टमाटर, बैंगन, मिर्च जैसी सब्जी की खेती में जुट गई। मेहनत का लाभ भी मिलने लगा है। आय का स्त्रोत बढ़ा तो अब 15-20 हजार मासिक आय होने लगी। चम्पा मुर्मू, पांडेयडीह की लीलावती देवी, कुशमाहा रेखा देवी, तिवारीडीह रीना देवी, पार्वती देवी, गंभिया देवी, सुरमुनी मुर्मू, अनिता आदि ने बताया कि एकबार घर की दहलीज पार करने की झिझक मिटी तो आमदनी बढ़ गई और जीवन स्तर में सुधार आ गया। आमदनी के साथ-साथ परिवार वाले को पौष्टिक सब्जी मिलने लगा। बच्चों की पढ़ाई में भी मदद मिलने लगी। सुखाड़ का नुकसान कम हो गया। सख्जी की खेती ने घर में हरियाली ला दी।

prime article banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.