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पुल निर्माण का वादा रहा अधूरा

जमुई। चुनाव आते ही प्रत्याशी क्षेत्र में घूम-घूमकर वादाओं की झड़ी लगा रहे हैं। जनता उसी को आधार मानकर प्रत्याशियों को वोट देने का आश्वासन भी दे रही है लेकिन पिछले चुनाव के समय किए गए वादे पूरा नहीं होने पर ग्रामीणों का विश्वास उठने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:48 PM (IST)
पुल निर्माण का वादा रहा अधूरा
पुल निर्माण का वादा रहा अधूरा

जमुई। चुनाव आते ही प्रत्याशी क्षेत्र में घूम-घूमकर वादाओं की झड़ी लगा रहे हैं। जनता उसी को आधार मानकर प्रत्याशियों को वोट देने का आश्वासन भी दे रही है, लेकिन पिछले चुनाव के समय किए गए वादे पूरा नहीं होने पर ग्रामीणों का विश्वास उठने लगा है।

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चकाई प्रखंड अंतर्गत रामचंद्रडीह पंचायत का कलीबांक एवं बदियाडीह, जहां के ग्रामीण पुल निर्माण का वादा पूरा नहीं होने के कारण इस बार के चुनाव में मतदान नहीं करने का मन बनाया है। इन दोनों गांवों में दलित, पिछड़ा एवं सामान्य जातियों की लगभग एक हजार आबादी है। ग्रामीण संतोष ठाकुर, खुसरू ठाकुर, सुनील पासवान, शंकर पासवान, पप्पू पासवान, दयानंद ठाकुर, प्रदीप ठाकुर, अनिल राय, केलू ठाकुर, अरुण ठाकुर, प्रमोद चौधरी, दिवाकर चौधरी, बच्चू चौधरी, महेंद्र ठाकुर, गौतम ठाकुर ने बताया कि गांव तक पहुंचने के लिए दो जोरिया को पार करना पड़ता है, लेकिन जोरिया पर पुल नहीं होने के कारण हम लोगों की जिदगी नर्क बनकर रह गई है। बात अगर बरसात के दिनों की करें तो लोग गांव में ही कैद होकर रह जाते हैं। ऐसे में बीमार लोगों को भगवान भरोसे ही छोड़ना पड़ता है। जोरिया में जल बहाव के कारण गांव में कोई भी दो पहिया और चारपहिया वाहन प्रवेश नहीं कर पाता है। यहां तक कि पैदल भी गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। विशेष परिस्थिति में बीमार एवं प्रसूता को खाट पर लाद कर जोरिया पार कराना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या तो उन नौनिहालों के सामने उत्पन्न हो जाती है जो अध्ययन के लिए गांव से बाहर स्थित विद्यालय जाते हैं। बरसात में लगभग तीन माह इनकी पढ़ाई बंद हो जाती है। यही नहीं, ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पुल नहीं होने के कारण लोग इस गांव में अपनी बेटी की शादी तक करना नहीं चाहते। इससे ग्रामीणों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एक पूल के अभाव में लोगों का जीवन नरक बनकर गया है। ग्रामीण बताते हैं कि सुमित कुमार सिंह के कार्यकाल में जोरिया के दोनो तरफ सड़क का निर्माण कराया गया था। बाद में जब सावित्री देवी विधायक बनी तो पुल बनाने का आश्वासन दिया। बावजूद पुल नहीं बना। ऐसे में ग्रामीणों ने मन बनाया है कि बिना किसी ठोस आश्वासन के इस बार मतदान में भाग ही नहीं लेंगे।


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