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राशि के अभाव में ईको पार्क का निर्माण बंद

जमुई। माधोपुर में ईको पार्क निर्माण कार्य राशि आंवटन के अभाव में पिछले डेढ़ माह से बंद है। जिससे बिहार-झारखंड का इकलौता और सबसे बड़े पार्क के निर्माण कार्य पर ग्रहण लगता दिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 06:05 PM (IST)
राशि के अभाव में ईको पार्क का निर्माण बंद
राशि के अभाव में ईको पार्क का निर्माण बंद

जमुई। माधोपुर में ईको पार्क निर्माण कार्य राशि आंवटन के अभाव में पिछले डेढ़ माह से बंद है। जिससे बिहार-झारखंड का इकलौता और सबसे बड़े पार्क के निर्माण कार्य पर ग्रहण लगता दिख रहा है। जानकारी के अनुसार पार्क के निर्माण में लगभग 4 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। विभाग द्वारा समय पर राशि नहीं उपलब्ध कराने के कारण पिछले डेढ़ माह से पार्क का निर्माण कार्य बंद पड़ा है। अधूरे निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए फिर से जमुई वन प्रमंडल द्वारा तीन करोड़ का प्राक्कलन बना कर राज्य सरकार को डेढ़ माह पूर्व भेजा गया लेकिन अबतक स्वीकृति नहीं मिली है जिससे निर्माण कार्य ठप पड़ गया है। राशि के अभाव में पाम, आयलैंड, अशोक वाटिका ,कार्बन फोरेस्ट, कैफेटेरिया, इंटरपोटेशन सेंटर, चिल्ड्रेन पार्क आदि का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।

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पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की है योजना:

निर्माणाधीन ईको पार्क को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है ताकि देश के मानचित्र पर विशेष पर्यटक स्थल के रूप में इसकी पहचान बने। साथ ही पर्यटकों के आगमन से गुलजार होगा व स्थानीय लोग सपरिवार इसका आंनद उठा सकेंगे। चकाई के माधोपुर में बन रहा यह पार्क 110 एकड़ में फैला है तथा इस पार्क में देश में पाये जानेवाले विभिन्न प्रजाति के वृक्ष एवं पौधे को लगाया जाना है। फिलहाल इस पार्क में 300 से अधिक पौधे लगाए जा चुके है। जिसमें औषधीय पौधे और सुगंध कराने वाले पौधे शामिल है। इस पार्क में आनेवाले लोगो को धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व का भी अहसास होगा। रावण द्वारा मां सीता का हरण कर जिस अशोक वाटिका में रखा गया था। उस याद को ताजा करने के लिए यहां भी अशोक वाटिका पुष्प उद्यान का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें विभिन्न प्रजाति के 1100 से भी अधिक पौधे लगाए गए हैं। यहां कल्पतरू वन का भी निर्माण चल रहा है। पर्यटकों को आर्कषित करने के लिए नौका विहार, झूला, स्वी¨मग पुल, रेस्टोरेंट, पार्किग स्थल, हेलीपैड आदि का भी निर्माण किया जा रहा है। इस इको पार्क बन जाने से चकाई को भी विशेष पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाएगा और हजारों पर्यटक व सैलानी यहां आकर इलाके को गुलजार करेंगे।

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इन प्रजातियों के लगे हैं पौधे :

इस पार्क में कनक, चंपा, डीएन फिस्टेल, साईकरू, प्राक्सटेल, जकरेडा, रमोनिया पाम, आंवला, अश्वगंधा, अर्जुन,नीम, जामुन, कदम, सखुआ, मौलेश्वरी, बालमखीरा, चंदन, अशोक, सिल्वर, कल्प, नागकेशर, बोतल बास्त्र, रेशमी, तुमा, बीजा, साल लाल, चंदन, ब्राजीली, जिलेबी, मनीला, इमली, खैर, कालाशिरिश, शाही कचनार, पीला पलास, राजश्री कमल, समुद्र फल, मोल श्री, अमेरिकी गलगल, जंगली बादाम, गौरख, तीखा, रीढा, ताल कुसुम, कठबदाम, पीला, तुरही, रेशमी, रूई,तार, बांस, बर्मी बांस, तीर बांस आदि किस्म के पौधे लगाए जा रहे हैं।

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राष्ट्रीय स्तर पर टूरिस्ट सर्किट के रूप में बनेगी पहचान :

विभागीय पदाधिकारी की मानें तो पार्क निर्माण हो जाने से इसे भीमबांध, नागी नकटी डैम, झुमराज स्थान, मंदार पर्वत, विक्रमशीला, नंदन पहाड़ आदि पर्यटक स्थल की तरह टूरिस्ट सर्किट बनाया जायेगा तथा इसके विकसित होने से स्थानीय को रोजगार मिलेगा तथा पयटकों के लिए दर्शनीय स्थल होगा।

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कोट:-

राशि के अभाव में काम बंद है। राशि आंवटित होते ही कार्य प्रारंभ होगा। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही राशि आंवटित करेगी और इसका निर्माण पूरा होगा।

प्रभाकर झा, डीएफओ


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