कभी देता था लोगों को आश्रय, अब आश्रयदाता की है उसे तलाश
जमुई। जमुई शहर में जब कोई छतदार मकान-दुकान ढूंढने से नहीं मिलता था तब छतदार आश्रय स्थल के रुप में जय¨हद धर्मशाला का निर्माण कराया गया था।
जमुई। जमुई शहर में जब कोई छतदार मकान-दुकान ढूंढने से नहीं मिलता था तब छतदार आश्रय स्थल के रुप में जय¨हद धर्मशाला का निर्माण कराया गया था। धर्मशाला का निर्माण करीब सवा सौ वर्ष पूर्व खैरा स्टेट ने सहयोग राशि से कराया था। जिसका उल्लेख धर्मशाला परिसर में लगे शिलापट पर मौजूद है। जंगलों, पहाड़ों और नदियों से घिरे जमुई में जय¨हद धर्मशाला तब लोगों के लिए सुरक्षित ठिकाना होता था जब लोगों को जमुई पहुंचने में रात हो जाती थी और वहां से गांव जाना संभव नहीं हो पाता था। ट्रेन से आने-जाने वाले लोगों के लिए ठहरने का यह इकलौता साधन था। अब जब शहर में ऊंची-ऊंची महलों के साथ-साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रेस्टूरेंट और होटल की सुविधाएं उपलब्ध हो गई है तब जय¨हद धर्मशाला को जर्जर अवस्था से उबरने के लिए आश्रयदाता की तलाश है।
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शहर के मध्य में है जय¨हद धर्मशाला
शहर के हृदयस्थली महाराजगंज चौक के करीब जय¨हद धर्मशाला करीब 19 डिसमील जमीन में फैला है। करीब 15 दुकान और दस कमरों का धर्मशाला कई मायने में महत्वपूर्ण है। धर्मशाला की देखरेख को लेकर एसडीओ की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित है। यह दीगर बात है कि कमेटी का चुनाव वर्षों से नहीं हो सका है।
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निर्माणकाल को लेकर है दुविधा
जय¨हद धर्मशाला के निर्माण काल को लेकर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। धर्मशाला के भीतरी द्वार पर निर्माण वर्ष सन 1355 अंकित है। 1355 में पक्का निर्माण की बात ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक नजरिए से कुछ हजम नहीं होती है। कुछेक लोग बताते हैं कि अंकित निर्माण काल हिन्दी वर्ष का है जिसके अनुसार 1897-98 में धर्मशाला निर्माण का अनुमान लगाया जा रहा है।
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सहयोग राशि से हुआ था निर्माण
धर्मशाला निर्माण में 251 रुपये से अधिक राशि देने वालों की सूची पट पर अंकित है। इसमें सर्वाधिक राशि छह हजार रुपया गुप्त दान मैनेजर खैरा स्टेट द्वारा किया गया है। अखिल भारतीय श्रीहरि कीर्तन सम्मेलन के बचे कोष से तीन हजार 341 रुपए, मुंगेर के गोयनका परिवार की गोमति देवी ने 1000, खैरा स्टेट के कर्मचारीगण द्वारा 800, केशोपुर निवासी छोटू ¨सह ने 400 रुपये का सहयोग किया था। इसके अलावा जमुई निवासी हरिवंश प्रसाद भगत की ओर से 350, राजारघुनंदन प्रसाद ¨सह मुंगेर ने 251, गिद्धौर की राजमाता गिरीराज कुमारी, दाबिलगढ़ के कुमार बागेश्वरी प्रसाद ¨सह, गिद्धौर 22 स्टेट के कर्मचारीगण, खैरा माइ¨नग कारपोरेशन के कर्मचारीगण, जमुई के महादेव प्रसाद भगत, जमुई के प्रभुदयाल भोलाटिया, बाराबांध निवासी राघो प्रसाद ¨सह तथा झाझा निवासी नागरमल डामिलयां ने 251-251 रुपये का योगदान धर्मशाला निर्माण के लिए किया था। इसके अलावा खुदरा चंदे से प्राप्त 14 हजार 721 रुपये मिलाकर 28 हजार 872 रुपये की लागत से निर्माण होने की बात सूचीपट से सामने आ रही है। सहयोग राशि के संग्रहकर्ता खैरा स्टेट के मैनेजर राय साहब केसी चौधरी थे।
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खाते में 12 लाख से अधिक राशि है जमा
धर्मशाला विकास समिति के कोषाध्यक्ष बच्चन ¨सह बताते हैं कि वर्षों से समिति का चुनाव नहीं हुआ है। साथ ही उनके जिम्मे धर्मशाला के खाते में करीब 12-13 लाख रुपया भी जमा है। बदलते दौर में धर्मशाला का जीर्णोद्धार आवश्यक है।
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प्रबंधक ने कहा
धर्मशाला के प्रबंधक उझंडी निवासी नेपाली ¨सह ने कहा कि 15 दुकान और 10 कमरा धर्मशाला में मौजूद है। धर्मशाला की जमीन 19 डिसमील के करीब है। वे लंबे समय से यहां कार्यरत हैं। जय¨हद धर्मशाला का निर्माण कब हुआ इसकी जानकारी तो उन्हें नहीं लेकिन बचपन में जब वे विद्यालय आते थे तब भी जय¨हद धर्मशाला मौजूद था। तब शहर में गिने-चुने मकान ही छतदार नजर आते थे।
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बन सकता है भव्य मार्केट कॉम्पलेक्स
जय ¨हद धर्मशाला स्थल पर भव्य मार्केट कॉम्पलेक्स निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। कई आर्किटेक्ट बताते हैं कि ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग सुविधा देकर दो तल्ले तक मार्केट और तीसरे तल्ले पर आधुनिक सुविधायुक्त धर्मशाला का निर्माण कर अच्छी आमदनी और लोगों को सहूलियतें देने के साथ-साथ शहर की सुंदरता में चार चांद लगाई जा सकती है।
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अध्यक्ष ने कहा
धर्मशाला विकास समिति के पदेन अध्यक्ष एसडीओ लखीन्द्र पासवान ने कहा कि उन्हें समिति के अध्यक्ष होने की जानकारी नहीं है। कमेटी के अन्य सदस्यों से जानकारी प्राप्त कर वे जीर्णोद्धार को लेकर सकारात्मक कदम उठाने की कोशिश करेंगे।
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कोट-
शहर के मध्य में जय¨हद धर्मशाला को विकसित कर उसके एतिहासिक महत्व को संरक्षित करते हुए बेहतर मार्केट काम्पलैक्स सह धर्मशाला का निर्माण कराया जा सकता है। इसके लिए वे जल्द ही एसडीओ एवं कमेटी के अन्य सदस्यों से बात कर आवश्यक कदम उठाएंगे।
धर्मेद्र कुमार, जिलाधिकारी