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जहानाबाद के गंगापुर में दो शिक्षकों के कंधों पर 170 छात्रों का भविष्य

जहानाबाद । प्रखंड के दावथु पंचायत के गंगापुर मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर वर्ष 2014 में हाई स्कूल का दर्जा दे दिया गया। दर्जा मिलने से कई गांव के बच्चों के भविष्य संवारने का सपना अभिभावकों ने संजोया लेकिन स्थानीय लोगों का सपना आज भी हकीकत में नहीं बदल पाई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 10:52 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 10:52 PM (IST)
जहानाबाद के गंगापुर में दो शिक्षकों के कंधों पर 170 छात्रों का भविष्य
जहानाबाद के गंगापुर में दो शिक्षकों के कंधों पर 170 छात्रों का भविष्य

जहानाबाद । प्रखंड के दावथु पंचायत के गंगापुर मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर वर्ष 2014 में हाई स्कूल का दर्जा दे दिया गया। दर्जा मिलने से कई गांव के बच्चों के भविष्य संवारने का सपना अभिभावकों ने संजोया लेकिन स्थानीय लोगों का सपना आज भी हकीकत में नहीं बदल पाई। उत्क्रमित उच्च विद्यालय के लिए भवन का निर्माण जलजमाव वाले क्षेत्र में कर दिया गया। जहां पहुंचने के लिए वर्ष के आठ महीने तक कोई रास्ता नहीं होता है। दो वर्ष पहले नए भवन में हाई स्कूल के क्लास को मध्य विद्यालय से स्थानांतरित किया गया। विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका था। नवनिर्मित विद्यालय के अधिकतर कक्ष के दरवाजे बर्बाद हो चुके हैं। छतों से पानी हल्की बारिश के बाद ही टपकने लगती है। विद्यालय परिसर के चारों ओर जल जमाव रहने के कारण विद्यालय तक पहुंचना बच्चों के लिए जंग जीतने से कम नहीं है। वर्तमान सत्र में वर्ग नौ और दसवीं को मिलकर 170 से अधिक बच्चे नामांकित हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र दो शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। विज्ञान और भाषा के शिक्षक यहां मौजूद नहीं हैं। कंप्यूटर सिर्फ कार्यालय में एक लगा है बिजली के बैकअप और इंटरनेट कनेक्शन नहीं होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पाता है। विभिन्न विषयों के शिक्षक नहीं होने से शिक्षकों के कंधे पर ही इन 170 बच्चों के भविष्य संवारने का दायित्व है। हालांकि बताया जाता है कि दो माह बाद अनिल कुमार सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

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विद्यालय में प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, खेल के संसाधन, खेल के मैदान और दूसरे जरूरी उपस्कर मौजूद नहीं है। ऐसे में बच्चों का भविष्य सिर्फ कागजों पर संवारने का दायित्व का निर्वहन विद्यालय बखूबी कर रहा है। बताया जाता है कि एक शिक्षक तो मीटिग और प्रतिवेदन भेजने के काम में ही दिन-रात व्यस्त रहते हैं लिहाजा बच्चों की पढ़ाई की औपचारिकता एक शिक्षक के जिम्मे रह जाता है। स्मार्ट क्लास की व्यवस्था इस विद्यालय में तो की गई है लेकिन विषय वस्तु की अनुपलब्धता के कारण यह भी बहुत ज्यादा कारगर विद्यार्थियों के लिए साबित नहीं होता है। वर्तमान समय में कंप्यूटर की उपयोगिता छात्रों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण है लेकिन यहां कंप्यूटर से बच्चे परिचित नहीं हैं। सुनें प्रधानाध्यापक की

जर्जर भवन एवं जलजमाव के बीच बच्चों को पढ़ाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। संसाधन के अभाव अभिभावकों के कोप भाजन का भी शिकार होते रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित किया जा चुका है।

सुधीर प्रसाद दिवाकर


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