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पालीथिन के उपयोग बिगाड़ रही शहर की सूरत

जहानाबाद। शहर की सूरत बेहतर करने की कवायद प्रशासनिक स्तर पर हमेशा संचालित रहता है। लोग अपने स्तर से मुहिम में योगदान देते हैं लेकिन जब तक पालिथीन के उपयोग पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगेगा स्वच्छ व सुंदर शहर की परिकल्पना पूरी नहीं होगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 11:45 PM (IST)
पालीथिन के उपयोग बिगाड़ रही शहर की सूरत
पालीथिन के उपयोग बिगाड़ रही शहर की सूरत

जहानाबाद। शहर की सूरत बेहतर करने की कवायद प्रशासनिक स्तर पर हमेशा संचालित रहता है। लोग अपने स्तर से मुहिम में योगदान देते हैं लेकिन जब तक पालिथीन के उपयोग पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगेगा स्वच्छ व सुंदर शहर की परिकल्पना पूरी नहीं होगी। इससे एक ओर जहां ड्रेनेज सिस्टम प्रभावित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर रासायनिक प्रदूषण को भी बढ़ावा मिल रहा है। चार किलोमीटर की परिधि में फैले जहानाबाद शहर में धड़ल्ले से पालिथीन का उपयोग हो रहा है। सब्जी मंडी से लेकर राशन दुकान तक लोग सामानों की खरीदारी में पालिथीन का उपयोग करते हैं। उपयोग के बाद पालिथीन इधर-उधर फेंक दिया जाता है। जो बारिश के पानी के साथ नालियों तक पहुंच जाता है। नाले नालियों में जमा पालिथीन उसे पूरी तरह अवरुद्ध कर देता है। शहर में पानी की निकासी बंद हो जाता है। परिणाम स्वरूप शहर का सुदरीकरण की कवायद पर ब्रेक लग जाता है। प्रतिबंध के बाद चला था पालिथीन के विरुद्ध अभियान

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पालिथीन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद शहर में इस पर रोकथाम के लिए अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत जुर्माने की राशि वसूली गई थी। लोगों में पालिथीन छोड़ने की आदत विकसित होने लगी थी। धीरे-धीरे लोग कपड़े की छोले का उपयोग करने लगे थे लेकिन इसी बीच कोरोना संक्रमण की आहट शुरू हो गई और प्रशासन का ध्यान इस ओर से हट गया। उसके बाद फिर पालिथीन का उपयोग धड़ल्ले तो होने लगा। फिलहाल शहर की अधिकांश नाले नालियों की स्थिति बदहाल है। मामूली बारिश होते ही जलजमाव से शहर की सूरत बिगड़ जाती है।

अभी भी शहर के कई ऐसे मोहल्ले हैं जहां बरसात का पानी गलियों में फैला हुआ है। इस हालात में शहर को बेहतर रैंकिग के लिए जरूरी हो गया है कि सभी को मिलजुलकर सकारात्मक प्रयास करें। नहीं छोड़ा जा रहा जल निकासी के लिए रास्ता

शहरीकरण का तेजी से विकास हो रहा है। नए-नए घर बनाए जाने से मोहल्लों की आबादी बढ़ती जा रही है। लोग गांव से शहर में बसने के उद्देश्य से मकान बना रहे हैं। मकान का ध्यान तो लोगों को रहता है लेकिन जल निकासी के लिए जगह नहीं छोड़े जाने से नाले नालियों की निकासी संभव नहीं हो पाती है। शहर का जमीन काफी महंगा है। ऐसे में लोग इंच-इंच जमीन को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं लेकिन यह तब महंगा हो जाता है जब घर का पानी गलियों से होते हुए पूरे घर में प्रवेश कर जाता है।


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