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पति की दीर्घायु होने की कामना को ले सुहागिनों ने रखा व्रत

सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार हरितालिका तीज बुधवार को पूरे हर्षोल्लास व श्रद्धा के साथ मनाया गया। शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने इस त्योहार को लेकर पहले से ही सभी तैयारी पूरी कर ली थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 09:45 PM (IST)
पति की दीर्घायु होने की कामना को ले सुहागिनों ने रखा व्रत
पति की दीर्घायु होने की कामना को ले सुहागिनों ने रखा व्रत

जहानाबाद । सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार हरितालिका तीज बुधवार को पूरे हर्षोल्लास व श्रद्धा के साथ मनाया गया। शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने इस त्योहार को लेकर पहले से ही सभी तैयारी पूरी कर ली थी। इस वर्ष भगवान की विधिवत पूजा अर्चना शाम सात बजे तक ही संपन्न करना था जिसके कारण पहले से ही महिलाएं पूजा की तैयारी कर रखी थी। महिलाएं टोली बनाकर एक जगह गौरीशंकर की मूर्ति बनाकर पूजा अर्चना कर रही थी। शाम ढलते ही गांव व शहर की गलियां महिलाओं की गीत से गूंजने लगे। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने वाली महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहती है। हमारे धर्म में सभी रिश्तों के लिए विशेष त्योहार का प्रचलन रहा है। हमारी संस्कृति भी पति को परमेश्वर के रूप में चित्रित करती है। ऐसे में जब पति के दीर्घायु होने की कामना वाला व्रत हो तो फिर महिलाएं पीछे कैसे रह सकती है। परिणामस्वरूप यह व्रत सभी घरों की महिलाओं ने पूरे ही आस्था के साथ रखी।इसके लिए पहले से ही पूजन सामग्रियों के साथ-साथ अनरसा,ईख, खीरा तथा अन्य सामानों की खरीदारी कर ली गई थी। हालांकि इसे लेकर बुधवार को भी बाजारों में काफी भीड़ भाड़ देखी जा रही थी। अनरसा, ईख तथा खीरा की खरीदारी लोग पहले से करना मुनासिब नहीं समझ रहे थे। जिसके कारण इसकी खरीदारी पूजा के दिन ही की गई। शहर के चौक चौराहे पूजन सामग्रियों तथा अनरसा के दुकानों से सजी रही। बताते चलें कि इस अनुष्ठान में महिलाएं कोई कोर कसर नहीें छोड़ना चाह रही थी। अमीर हो या गरीब सभी अपनी क्षमता के अनुरूप इस विधान को संपन्न करने के लिए आवश्यक सामग्रियों की खरीददारी करने में जुटे थे। पूजा अर्चना के उपरांत महिलाएं कथा भी सुनी। पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि यह पर्व सदियों से मनाया जाता आ रहा है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेशंकर को प्राप्त करने के लिए यह अनुष्ठान रखी थी। इसी व्रत के प्रतिफल ही माता पार्वती की शादी भगवान भोलेशंकर से हुई थी। तबसे यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए रखती आ रही है।

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