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अब डाकघरों में नहीं लग रही ग्रि¨टग्स भेजने वाले की कतार

संवाद सहयोगी, कलेर, अरवल कुछ साल पहले तक नए साल पर शुभकामना देने के लिए डाकघर म

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 11:19 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 11:19 PM (IST)
अब डाकघरों में नहीं लग रही ग्रि¨टग्स भेजने वाले की कतार
अब डाकघरों में नहीं लग रही ग्रि¨टग्स भेजने वाले की कतार

संवाद सहयोगी, कलेर, अरवल

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कुछ साल पहले तक नए साल पर शुभकामना देने के लिए डाकघर में ग्री¨टग कार्ड पोस्ट करने वालों की कतार लग जाती थी। लेकिन स्मार्ट फोन के जमाने में अब व्हाट्स-एप और फेसबुक के जरिये अपनी भावना व्यक्त की जा रही है। इंटरनेट पर कई साइट हैं जिनपर ई-ग्री¨टग्स भेजने की सुविधा मौजूद है। शुभकामना देने वाले व्यक्ति को उस साइट की ¨लक के साथ अपना नाम लिख कर फारवर्ड करना होता है। मैसेज खोल कर दिए गए ¨लक पर क्लिक करते साइट की ओर से शुभकामना संदेश किसी चलचित्र की भांति दिखाई देने लगता है। पहले आतिशबाजी का नजारा सामने आता है। फिर कुछ काल्पनिक किरदार नाचते-गाते दिखाई पड़ते हैं जो एक दूसरे को मिठाई या केक खिलाकर शुभकामना देते दिखाई पड़ते हैं। सेलफोन के जरिए साधारण एसएमएस के माध्यम से इसकी शुरुआत हुई।इस दौरान नववर्ष पर 31 दिसंबर की रात्रि 12 से एक बजे के बीच सेलफोन का नेटवर्क जाम हो जाता था। बाद में कुछ कंपनियों ने इस अवधि में शुभकामना संदेश भेजने के लिए स्पेशल टैरिफ प्लान लागू कर दिया था। व्हाट्सएप और इसके जैसे अन्य संपर्क माध्यमों ने अब उस झंझट से मुक्ति दिला दी है।विक्रेता भी मानते हैं कि कार्ड का बाजार अब उतना गरम नहीं रह गया है। पहले के मुकाबले कार्ड की बिक्री बहुत कम हो गई है। कौन बाजार जाएं, कार्ड तलाशे, कार्ड पोस्ट करें। हाईटेक युग है। मोबाइल या कम्प्यूटर पर अपनी पंसद का संदेश टाइप किया, क्लिक किया और एक साथ कई लोगों के पास पहुंच गया बधाई संदेश। सुनिए लोगों की

मोबाइल और नेट के द्वारा संदेश भेजना आसान और सस्ता पड़ता है। ग्री¨टग कार्ड अब काफी महंगे हो गए हैं। जहां पहले एक कार्ड की कीमत दस रुपये थी, वही आज 50 रुपये में मिलता है। ऐसे में सबके लिए कार्ड खरीदना मुमकिन नहीं रह गया है। सौ रुपये में दस कार्ड आ जाते थे पर अब दो ही आ पाते हैं।

चंद्रशेखर कुमार

फोटो-31 डाक से भेजने पर कार्ड कई बार देर से पहुंचता है। कभी कभी तो पहुंचता भी नहीं है। ऐसे में ईमेल और और एसएमएस से बधाई देना सस्ता और आसान है। डाक का खर्चा भी बच जाता है।

सुजीत कुमार

फोटो-32

भले ही हाईटेक तकनीकों ने कार्ड के बाजार पर असर डाला हो, लेकिन आज भी लोग अपने खास लोगों को कार्ड के माध्यम से ही बधाई देना पसंद करती हैं। कार्ड यादों को ताजा रखते हैं। मैसेज या ईमेल को संजो कर रखना आसान नहीं है पर कार्ड हमेशा खास होने के अहसास बनाएं रखते हैं।

लभली कुमारी

फोटो-33


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