Move to Jagran APP

पहले नेताजी की मेहनत देखकर वोटर भी रह जाते थे दंग

जहानाबाद। 1952 से लेकर अबतक विधानसभा के कई चुनाव हुए। सभी चुनावों में कुछ न कुछ बदलाव दे

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 08:12 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 08:12 PM (IST)
पहले नेताजी की मेहनत देखकर वोटर भी रह जाते थे दंग
पहले नेताजी की मेहनत देखकर वोटर भी रह जाते थे दंग

जहानाबाद। 1952 से लेकर अबतक विधानसभा के कई चुनाव हुए। सभी चुनावों में कुछ न कुछ बदलाव देखने को जरूर मिला। सबसे अधिक बदलाव प्रचार करने का तौर-तरीके में आया है। पहले और अभी के चुनाव में प्रचार करने का तरीका बिल्कुल बदल गया है। इस बार चुनाव कोरोना काल में हो रहा। ऐसे में चुनाव के प्रचार प्रसार से लेकर सभी कार्यों के लिए चुनाव आयोग ने आवश्यक गाइडलाइन भी जारी किया है। साथ-साथ कार्यकर्ताओं ने भी तौर तरीके बदल लिए हैं। इस बार जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र क्रमश: जहानाबाद , घोसी और मखदुमपुर में अभी प्रचार-प्रसार जोर नहीं पकड़ा है।

loksabha election banner

बता दें कि चुनाव के समय नेता, कार्यकर्ता पदयात्रा या रैली के माध्यम से जनता के बीच पहुंचते थे। डोर टू डोर पहुंचकर अपने पक्ष में वोट मांगते थे। लेकिन व्यवस्था बदली तो जनता से जुड़ने का तरीका भी बदल गया। अभी के समय में नेता मंच से ही कार्यक्रम की तस्वीर फेसबुक, वाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया में पोस्ट कर देते हैं। समर्थक उस पोस्ट को वायरल कर देते हैं और देखते ही देखते चर्चा का विषय बन जाता है। इतना ही नहीं ट्विटर पर भी नेताजी काफी सक्रिय रहते हैं, ताकि उनकी पब्लिसिटी बनी रहे। वयोवृद्ध अंबिका सिंह बताते हैं कि पहले के दौर में नेता जी कम खर्च में काम चला लेते थे। कार्यकर्ता आपस में चंदा इकट्ठा करते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। समय के साथ-साथ चुनाव प्रचार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। छोटे-बड़े कार्यकर्ता चार पहिया व बाइक में सवार होकर गांव पहुंचते हैं। अपने प्रत्याशी के समर्थन में वोट देने का आग्रह करते हैं। मखदुमपुर से संजय प्रसाद कहते हैं कि नेता, कार्यकर्ता पहले पैदल चलकर गांव-गांव पहुंचते थे। नेता जी की मेहनत देखकर वोटर भी दंग रह जाते थे। गांव के लोग प्रत्याशियों को सम्मान की नजर से देखते थे। पर, इस समय स्थिति बदल गई है। इस समय प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में लाखों, करोड़ों खर्च कर देते हैं।

हाईटेक हो गया है प्रचार का तरीका

कई चुनावों को देख चुके बुजुर्गों का कहना है कि इस जमाने में प्रचार का तौर-तरीका बिल्कुल बदल गया है। एक दौर था जब नेता और कार्यकर्ता प्रचार के दौरान सत्तू, मुढ़ी, दही-चूड़ा से काम चलाते थे। चुनावी प्रचार के समय विभिन्न दलों के कार्यकर्ता चार पहिया वाहन में खूब मौज करते हैं। कार्यकर्ता होटलों व ढाबों में भोजन करते हैं। इसके बाद वह गांव में पहुंच प्रचार-प्रसार करते हैं। इतना ही नहीं शाम ढलते ही गांवों में तो होली, दिवाली जैसा नजारा रहता है। विभिन्न दलों के कार्यकर्ता गांव के प्रमुख लोगों को लेकर चुनावी पिकनिक मनाते हैं। इसी बीच चुनावी चर्चा भी होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.