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मंडल कारा के पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप लगा बंदियों ने किया हंगामा

जहानाबाद। स्थानीय मंडल कारा के बंदियों ने जेल के पुलिस कर्मियों पर विचाराधीन बंदी गोरेलाल यादव को मारपीट किए जाने के खिलाफ जमकर हंगामा किया। उनलेागों के हंगामे के कारण ही जख्मी बंदी को इलाज के लिए स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 12:04 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 12:04 AM (IST)
मंडल कारा के पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप लगा बंदियों ने किया हंगामा
मंडल कारा के पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप लगा बंदियों ने किया हंगामा

जहानाबाद। स्थानीय मंडल कारा के बंदियों ने जेल के पुलिस कर्मियों पर विचाराधीन बंदी गोरेलाल यादव को मारपीट किए जाने के खिलाफ जमकर हंगामा किया। उनलेागों के हंगामे के कारण ही जख्मी बंदी को इलाज के लिए स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। बंदियों का कहना था कि एक तो इस जेल में जेल मैनुअल के अनुसार भोजन नहीं मिलता है उलटे जब इसका विरोध किया जाता है तो जेल प्रशासन द्वारा उनलोगों को प्रताड़ित किया जाता है। इतना ही नहीं विरोध करने वाले बंदियों को बाहर के जेलों में स्थानांतरित कर दिया जाता है। हालांकि काराधीक्षक राकेश कुमार ने मारपीट किए जाने की घटना से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि दरअसल गया के होरिलगंज का रहने वाला गोरेलाल यादव लूटपाट के मामले में इस जेल में बंद है। उसके खिलाफ इस प्रकार के आठ मामले दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि उसके द्वारा जेल में हमेशा विवाद किया जाता है। काराधीक्षक ने कहा कि उसके द्वारा एक पुलिस कर्मी को गाली गलौज किया गया। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने एक जवान का कॉलर पकड़ लिया। इतना ही नहीं उसका वर्दी भी फाड़ दिया। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस दौरान उस सिपाही द्वारा उसके साथ भी हल्का फूल्का मारपीट किया गया होगा। उन्होंने कहा कि जेल डॉक्टर जौहर शहजाद से उसका इलाज कराया गया। लेकिन उन्होंने उसे पीएचसी में भेजने की सलाह दी। काराधीक्षक ने यह भी कहा कि पीएचसी में भेजने के लिए बंदियों ने भी हंगामा किया। जिसके कारण उसे काको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा गया। इधर अस्पताल में भर्ती बंदी ने बताया कि रविवार की बंदी के समय वह बाहर था। जब बंदी होने लगा तो उसका लूंगी बाहर छुट गया था। उसका कहना था कि एक सिपाही कम सुनते हैं। उसने उन्हीं से कहा कि मेरा लूंगी बाहर छुट गया लेकर आते हैं। कम सुनने के कारण वे मेरी बात को समझ नहीं पाए और जेल के पुलिस कर्मियों को बुला लिए। उसने कहा कि जमादार ओमप्रकाश, हवलदार नागेंद्र सिंह, आरक्षी रंजन यादव, पंकज सिंह, गणेश कुमार तथा नवीश कुमार को तो उसने पहचाना जबकि मारपीट करने में 20-25 आरक्षी थे। उसने कहा कि हमपर पानी झोंका गया। साथ ही लात जुते से प्रहार किए जाने के साथ ही जुता पहनकर पेट पर चढ़कर मारा गया। उसने कहा कि इस जेल में हमेशा बंदियों के साथ अमानवीय व्यवहार होता है।

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