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हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ जन्माष्टमी का त्योहार

भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व जिले में दूसरे दिन सोमवार को भी हर्षोल्लासपूर्ण मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 09:17 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 09:17 PM (IST)
हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ जन्माष्टमी का त्योहार
हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ जन्माष्टमी का त्योहार

अरवल

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भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व जिले में दूसरे दिन सोमवार को भी हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में मनाया गया। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में यह पर्व रविवार को भी मनाया गया था। इस पर्व को लेकर लोगों मे काफी उत्साह देखा गया। पूरे दिन उपवास रखकर श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने के बाद पूजा-अर्चना कर स्वयं तथा परिजनों के साथ प्रसाद ग्रहण किया। जैसे ही रात्रि के 12 बजे जय कन्हैया लाल की मदन गोपाल की. की गूंज से पूरा वातावरण गूंज उठा। लोग ढोल ताशा बजाने लगे। घरों में थालियां बजने लगी। तो ठाकुरबाड़ी में घड़ीघंट बजने लगे। लोग एक दूसरे को बधाई भी देने लगे। महिलाएं सोहर गीत गा रही थी। श्रद्धालुओं द्वारा बाल गोपाल की मूर्ति को झूले पर बैठाकर झूलाया। उसके बाद आरती मंगल किया गया। साथ ही प्रसाद का वितरण भी हुआ। मुख्य समारोह का आयोजन सरौती स्थित ठाकुरवाड़ी, वेंकटेश्वर आश्रम महेंदिया तथा राधा बाबा मंदिर पखरपुर में हुआ। इसके अलावा ब्रह्म कुमारी संस्थान द्वारा नगर के कई जगहों पर जीवंत झांकी की प्रस्तुति की गई। सरौती ठाकुरवाड़ी में यह त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया गया। ठाकुरवाड़ी को विशेष तौर पर सजाया गया था। यहां आसपास के बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया था। ठाकुरवाड़ी में आए सभी भक्तजनों को भगवान का भोग लगाकर प्रसाद खिलाया गया। अरवल, भदासी, बख्तारी, जलपुरा, वैदराबाद आदि ठाकुरवाड़ी में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

वैष्णवी सांप्रदाय के लोगों ने सोमवार को ही जन्माष्टमी पर्व मनाया। हुलासगंज स्थित गोपुरम के मठाधीश स्वामी रंग रामानुजाचार्य के अनुसार जन्मोत्सव में नक्षत्र की प्रधानता है। रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। किसी भी जातक के भविष्य का फलाफल सोमवार को शुद्ध रोहिणी नक्षत्र प्रवेश कर रहा है। इसलिए नक्षत्र के अनुसार ही कृष्ण का जन्मोत्सव मनाना उचित है। सरौती, महेंदिया सहित अन्य जगहों पर स्थापित मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।


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