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जमीन के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट का कर्मचारी गिरफ्तार

एक ही भूखंड दिखा दर्जनभर लोगों से ठग लिए करोड़ों रुपये।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Aug 2017 03:10 AM (IST)Updated: Mon, 28 Aug 2017 03:10 AM (IST)
जमीन के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट का कर्मचारी गिरफ्तार
जमीन के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट का कर्मचारी गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, पटना : जमीन के खेल में फंसाकर लोगों से करोड़ों रुपये ठगने वाला पटना हाईकोर्ट का कर्मचारी अनिल कुमार मिश्रा शनिवार को कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में आ गया। उसके खिलाफ जिले के विभिन्न थानों ने दर्जनभर से अधिक कांड दर्ज हैं। अधिसंख्य मामलों में गिरफ्तारी का वारंट भी जारी है, लेकिन पुलिस उसे पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा रही थी।

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हैरानी की बात है कि अनिल की गिरफ्तारी के बाद उसे छोड़ने के लिए पैरवी आने लगी। हाईकोर्ट के कुछ अधिकारी तो उसे छुड़ाने के लिए थाने पहुंच गए। हालांकि उसका शिकार सिविल कोर्ट का कर्मचारी अपनी शिकायत पर डटा रहा, जिसकी वजह से पुलिस ने मजबूती से कार्रवाई की। बहरहाल, डीएसपी डॉ. मो. शिब्ली नोमानी के मुताबिक आरोपित अनिल कुमार मिश्रा के कारनामों की फाइल खंगाली जा रही है। अब तक उसके खिलाफ अधिसंख्य मामले फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी से संबंधित दर्ज हैं। वह जहानाबाद जिले का रहने वाला है। यहां वह अदालतगंज स्थित कोर्ट के क्वार्टर में रहता था।

अपने ही जाल में फंस गया :

कंकड़बाग थानान्तर्गत मलाही पकड़ी निवासी रामचंद्र दास पटना सिविल कोर्ट के कर्मी हैं। उनके मुताबिक अनिल ने उनसे 11 लाख रुपये ठगे थे। उसने जमीन की रजिस्ट्री तो करवा दी, लेकिन दखल-कब्जा लेने के वक्त मालूम हुआ कि उक्त भूखंड की बिक्री कई लोगों को की गई है। रामचंद्र के हाथ अनिल के विरुद्ध कोर्ट से जारी एक गिरफ्तारी वारंट लग गया। वह शनिवार को हाईकोर्ट स्थित अनिल के कार्यालय में पहुंचा और एक जमीन का सौदा कराने की बात कहकर गाड़ी पर बिठाकर कोतवाली थाने ले आया। इसके बाद उन्होंने अनिल और कोर्ट की गिरफ्तारी वारंट, दोनों पुलिस को सौंप दिया।

रसूख वालों से थी जान-पहचान :

हाईकोर्ट में नौकरी करने के नाते अनिल की कई रसूख वाले लोगों से जान-पहचान थी। उनकी बदौलत वह कार्यालय की कुर्सी पर बैठकर विभागीय काम कम और जमीन की डीलिंग अधिक करता था। पूर्व में धोखाधड़ी और चेक बाउंस के मुकदमे में उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन कठघरे में खड़े होते ही उसे कोर्ट से जमानत मिल गई। इसके कारण उसका मनोबल और बढ़ गया। पुलिस ने उसके शिकार हुए लोगों से बातचीत की तो पता चला कि फर्जीवाड़ा से उसने ढाई-तीन करोड़ों रुपये कमाए हैं। कुछ लोगों ने रिश्वतखोरी का भी आरोप लगाया।


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