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गेहूंमनमा कब पकड़ैतइ बाबू ,महिलाओं ने पूछा सांसद से

परसबिगहा थाना क्षेत्र के मिश्र बिगहा गांव में मातम पुरसी करने पहुंचे जन अधिकार पार्टी के संर

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 07:26 PM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 07:26 PM (IST)
गेहूंमनमा कब पकड़ैतइ बाबू ,महिलाओं ने पूछा सांसद से
गेहूंमनमा कब पकड़ैतइ बाबू ,महिलाओं ने पूछा सांसद से

परसबिगहा थाना क्षेत्र के मिश्र बिगहा गांव में मातम पुरसी करने पहुंचे जन अधिकार पार्टी के संरक्षक व सांसद पप्पु यादव गांव के मंजर को देख भावुक हो गए। पीड़ित परिवार की बेबसी किसी को भी रूलाने के लिए काफी था। सुबह तकरीबन साढ़े आठ बजे का समय रहा होगा। कि सांसद का काफिला इस गांव में पहुंचा। घटना के बाद से पुलिस कर्मियों का आना जाना तो यहां लगा हुआ है ही। लेकिन किसी राजनेता का यह पहला आगमन था। पहले तो ग्रामीणों ने पुलिस कर्मियों की आवाजाही समझ इस काफिले की अनदेखी की। लेकिन ज्योंहि सांसद पप्पु यादव गाड़ी से उतरकर पीड़ित परिवार के घर की ओर रूख किए उनके साथ ग्रामीणों की भी भीड़ पीछे-पीछे चल पड़ी। इसी दौरान पीड़ित परिवार को भी किसी ने सूचना दी कि एक नेता उनलोगों से मिलने आ रहे हैं। इस दर्दनाक घटना में जिस घर से दो भाई का शव निकला हो उसके लिए नेता या आम जनता का अंतर समझना मुश्किल था। लेकिन इस पीड़ित परिवार को इस भीड़ के साथ पुलिस कर्मियों को देख ऐसा लगा कि वे लोग इनके मदद के लिए आए हैं। आंखों की आंशु सुख चुकी थी लेकिन सांसद को देखते ही फिर भर आई। इसी बीच हाथ जोड़े सांसद परिजनों के पास खड़े थे। परिजनों को लगा कि जरूर इनसे फरियाद करने पर उन्हें न्याय मिलेगा। इसी बीच बिलखती महिलाओं ने बड़े ही मार्मिक अंदाज में पूछा बाबू गेहूमनमा कब पकड़ैतइ। इस मार्मिक सवाल का जवाब सांसद के पास नहीं था। लेकिन यह सवाल उस व्यवस्था को झकझोर कर जरूर रहा था जो दावा करती है कि अब अपराधियों का खौफ नहीं बल्कि पुलिस का खौफ अपराधियों पर है। हालाकि सांसद ने उन्हे आश्वस्त किया कि अपने स्तर से प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों से इस संबंध में वार्तालाप कर गिरफ्तारी के साथ-साथ स्पीड ट्रायल कराने का आग्रह करेंगे।

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ग्रामीणें में खौफ बरकरार:

बहुचर्चित मिश्र बिगहा घटना के इतने दिन गुजर जाने के बाद भी गेहूंमनमा का खौफ बरकरार है। मातम पुरसी करने के लिए जब कोई नेता वहां जाता है। ग्रामीणों की भीड़ भी लगती है। लेकिन वे लोग मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। भय ऐसा कि घटना के बारे में सारी बातें जानकर भी वे लोग अंजान बने हुए हैं। यदि विरेंद्र के सगे संबंधियों को छोड़ दें तो काई भी आदमी कुछ बोलने और बताने को तैयार नहीं है। हर लोगों को उसके बाहर रहने का खौफ है। लगता है कि यदि उसे पता चल जाएगा तो हमारा क्या होगा।


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