अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रहा कोयल भूपत का पोखर
प्रखंड क्षेत्र के कोयल भूपत गांव का पुराना सरकारी पोखर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, कलेर, अरवल: प्रखंड क्षेत्र के कोयल भूपत गांव का पुराना सरकारी पोखर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। सरकार द्वारा संचालित जल-जीवन हरियाली अभियान के बावजूद इस पोखर पर किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ी। ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन तक से उपेक्षित इस पोखर की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।
लंबे समय से इस तालाब का जीर्णोद्धार नहीं होने के कारण पानी भी अब गर्मी के दिनों में समाप्त हो जाता है। स्थानीय लोग करीब दो सौ साल पुराने इस तालाब को बचाने की दिशा में पहल की अपील कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस यमुना तालाब का निर्माण करीब 200 साल पूर्व कराया गया था, तब इसकी भव्यता देखते ही बनती थी। काफी गहरा होने के कारण इस तालाब में सालों भर पानी रहता था। इलाके का प्रमुख जलस्त्रोत होने के कारण इस तालाब के आसपास के इलाके में तब महज 20 फीट नीचे ही भू-गर्भ का पीने लायक पानी मिल जाता था। समय के साथ इस तालाब की ओर से ध्यान हटने लगा। तालाब की लंबे समय से सफाई नहीं होने के कारण इसकी गहराई कम होती गई। आज स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि उचित देखरेख के अभाव में इस पुराने तालाब का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। तालाब का पानी अब मई महीने के अंत तक समाप्त हो जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि अपने समय में काफी बेहतर स्थिति में रहे इस तालाब की स्थिति में सुधार के लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल की जरुरत है। लोगों की मानें तो अगर प्रशासनिक स्तर यमुना का सफाई तथा सुंदरीकरण के लिए अभियान चलाया गया, तो शायद इस तालाब के अस्तित्व को बचाया जा सकता है। इसके लिए प्रशासन व समाज को भी पहल करने की जरूरत है।