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नौ मंदिरों का जीर्णोद्धार कर आस्था का प्रकाष्ठा लिख रहे बाढ़ू बाबू

आस्था की बात की जाए तो हर इंसान अपने आप को उसके अंदर समाहित करने की चाह जरूर।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 01:06 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 01:06 AM (IST)
नौ मंदिरों का जीर्णोद्धार कर आस्था का प्रकाष्ठा लिख रहे  बाढ़ू बाबू
नौ मंदिरों का जीर्णोद्धार कर आस्था का प्रकाष्ठा लिख रहे बाढ़ू बाबू

जहानाबाद।आस्था की बात की जाए तो हर इंसान अपने आप को उसके अंदर समाहित करने की चाह जरूर रखता है। धर्म ही एक ऐसा मार्ग है जिसपर चलकर अनंत सुख की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए समाज के कई लोग अपने-अपने स्तर से प्रयास करते दिख रहे हैं। कोई तीर्थ यात्रा करता है तो कोई गरीबों के बीच दान कर पूण्य अर्जित कर रहा है। इसी बीच प्रखंड क्षेत्र के भरथुआ ग्राम निवासी बाढ़ू यादव मखदुम बाबा के मजार सहित जिले के नौ मंदिरों के जीर्णोद्धार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इसकी शुरूआत उन्होंने अपने गांव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़े मखदुम बाबा के मजार से की। इनके प्रयास का ही फल रहा कि आज यह मजार लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। जिला मुख्यालय के दक्षिणी दौलतपुर में बाबा चुहड़मल, ¨पजोरा रोड में रामलक्ष्मण बजरंगबली मंदिर, देवरिया में शंकर भगवान की मंदिर, देवी मंदिर के जीर्णोद्धार करने के उपरांत इन दिनों वे दक्षिणी सूर्य मंदिर को भव्य बनाने में जुटे हुए हैं। बाढ़ू बाबू का मिशन है कि जिले के सभी छोटे बड़े मंदिरों को सुंदर व आकर्षक बनाया जाए ताकि यहां आने वाले लोगों को पूजा पाठ करने में किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न नहीं हो। इस कार्य के लिए वे घूम-घूमकर चंदा एकत्र करते हैं और उस राशि से इसके जीर्णोद्धार में जुट जाते हैं। एक-एक कर कुल नौ मंदिरों व एक मजार के जीर्णोद्घार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके बाढ़ू बाबू अब दक्षिणी सूर्य भगवान के मंदिर को आकर्षक बनाने में अपना पूरा समय व्यतीत कर रहे हैं। वे बताते हैं कि यह कार्य इतना आसान भी नहीं था जब लोगों के पास मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चंदा मांगने पहुंचते थे तो तरह-तरह की बातें भी सुननी पड़ती थी। कुछ बातों से काफी पीड़ा भी होती थी। लेकिन मेरा संकल्प इस छोटी मोटी बातों से कम नहीं हुआ और आज उन्हें अपने इस कार्य से काफी खुशी महसूस होती है।उन्होंने बताया कि फिलहाल सूर्यमंदिर के जीर्णाेद्धार में अपना पूरा समय व्यतीत कर रहा हूं। यह स्थान काफी प्राचीन होने के बावजूद भी उपेक्षित था। इसके चारों ओर गंदगी के अंबार लगे थे साथ ही जीर्ण शीर्ण हो चुके मंदिर के कारण श्रद्धालुओं को पूजा पाठ करने में काफी समस्या हो रही थी। फिलहाल काफी हद तक यह समस्या दूर हो चुकी है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए और भी कार्य किए जा रहे हैं।

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