दोषपूर्ण सीमांकन का दंश झेल रहे कई गांवों के लोग
अरवल। दोषपूर्ण सीमांकन का दंश झेल रहे हैं दर्जनों गांवों के लोग। सीमांकन के समय जनता की सुविधाओं का ख्याल नहीं रखे जाने के कारण ग्रामीणों को समय के साथ आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ रहा है।
अरवल। दोषपूर्ण सीमांकन का दंश झेल रहे हैं दर्जनों गांवों के लोग। सीमांकन के समय जनता की सुविधाओं का ख्याल नहीं रखे जाने के कारण ग्रामीणों को समय के साथ आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ रहा है। सीमांकन चाहे दो जिले का हो या फिर प्रखंडों व थानों का। जनहित के नाम पर किए जाने वाले विभाजन बेकार साबित होने लगे हैं। दोषपूर्ण सीमांकन के चलते जहां ग्रामीणों को सरकारी सहायता प्राप्त करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
मालूम हो कि अरवल जिले की सीमा पर अवस्थित पटना जिले के इमामगंज, जम्हारु तथा मौरी पियरपुरा पंचायत के दर्जनों गांव दोषपूर्ण सीमांकन के कारण उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। करपी प्रखंड मुख्यालय से महज छह किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है पटना जिले का जम्हारु इमामगंज पंचायत के इमामगंज बाजार का आधा हिस्सा। इस पंचायत मे पड़ने वाले अधिकांश गांव जहां करपी प्रखंड मुख्यालय के बिल्कुल निकट हैं। वहीं, पालीगंज प्रखंड मुख्यालय से इन गांवों की दूरी काफी अधिक पड़ती है। इमामगंज पंचायत के इमामगंज, मठियापुर, मथुरापुर, जम्हारु, मुंगिला, कोडिहरा आदि कई ऐसे गांव हैं जो करपी प्रखंड मुख्यालय से लगभग छह से आठ किलोमीटर के अंदर अवस्थित है जबकि पालीगंज प्रखंड मुख्यालय से इन गांवों की दूरी तकरीबन बीस से पच्चीस किलोमीटर है। इसी तरह मौरी पियरपुरा पंचायत के रुकुनपुरा, अतौलह, बहादुरपुर, जिनपुरा, पियरपुरा, फतेहपुर सहित कई गांवों की हालत भी इसी प्रकार की है। बताते चलें कि फिलहाल इस पंचायत के लोग अपने गांवों को अरवल जिले में शामिल किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उन लोगों द्वारा पटना जिले से अलग कर अरवल जिले में शामिल किए जाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। वहीं, इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। लोगों ने कहना है कि जिला मुख्यालय पटना रहने के कारण उनलोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना तो दूर उन्हें इन योजनाओं के बारे में जानकारी भी नहीं मिल पाती है।