पिता की पुण्य तिथि के दिन ही उठी बेटे की अर्थी
नवादा नगर थाने में पदस्थापित दारोगा राजकुमार शर्मा का शव आते ही उनके पैतृक गांव कैरवा में कोहराम मच गया।
जहानाबाद। नवादा नगर थाने में पदस्थापित दारोगा राजकुमार शर्मा का शव आते ही उनके पैतृक गांव कैरवा में कोहराम मच गया। जैसे ही रविवार की मध्य रात्रि में उनके परिवार के लोग शव लेकर पहुंचे पूरे गांव में चित्कार पसर गया। हालांकि गांव में तो उसी समय से मातम का माहौल कायम था जिस समय उनलोगों को यह मनहूस खबर मिली थी। दरअसल राजकुमार शर्मा के पिता रामचंद्र शर्मा भी पुलिस की ही नौकरी करते थे। 15 साल पहले उनका निधन हो गया था। प्रत्येक साल पुण्य तिथि के अवसर पर 14 जनवरी को सभी छह भाई घर आते थे। और पिता जी की पुण्य तिथि के अवसर पर समारोह का आयोजन करते थे। इस समारोह के आयोजन के लिए घर पर रहने वाले भाई विनय शर्मा तथा अजय शर्मा द्वारा पहले से ही सारी तैयारी पूरी कर ली गई थी जबकि राजकुमार शर्मा को छोड़ अन्य सभी भाई भी घर पहुंच गए थे। घर के लोग राजकुमार शर्मा के आने का इंतजार कर रहे थे। सारी खाद्य सामाग्री घर पहुंच गई थी। छह भाईयों में तीसरे भाई राजकुमार शर्मा थे। सबसे बड़े भाई अशोक शर्मा पुलिस पदाधिकारी की सेवा से सेवानिवृत होकर गया में रह रहे थे। दूसरे भाई विनय खेतीबारी की देखभाल करते थे। राजकुमार से छोटे भाई अनिल शर्मा भी गया में हेड कांस्टेबल के पद पर पदस्थापित हैं जबकि बीएसएफ के सेवानिवृत जवान पांचवें भाई सुनिल शर्मा में भी गया में ही रहते थे। सबसे छोटे भाई अजय राज भी खेतीबारी करते थे। राजकुमार शर्मा की सिर्फ तीन बेटी है। एक की शादी कर चुके थे। जबकि दो बेटी की शादी भी करनी थी। उन्हें एक बेटा नहीं था। ग्रामीण व मुखिया संजीव कुमार ने बताया कि राजकुमार शर्मा काफी मिलनसार और ईमानदार पुलिस पदाधिकारी थे। छह भाईयों की संयुक्त संपति के अलावा उन्हें एक धूर भी अलग जमीन नहीं थी। सभी भाई मिलजुलकर घर पर रहते थे और पिताजी के पुण्य तिथि के अवसर पर फूल चढ़ाने के साथ ही प्रत्येक साल प्रीतिभोज का आयोजन करने आते थे। उन्होंने बताया कि पिताजी की पुण्य तिथि में भाग लेने के लिए ही वे घर आ रहे थे। कि यह मनहूस घटना घटी।