अपना अस्तित्व बचाने को जुझ रहा ऐतिहासिक तालाब
जल संकट के दौर से गुजर रहे लोगों में जल स्त्रोत के संरक्षण के प्रति जागरुकता का अभाव है।
जहानाबाद। जल संकट के दौर से गुजर रहे लोगों में जल स्त्रोत के संरक्षण के प्रति जागरुकता का अभाव है। फलत: पारंपरिक जल स्त्रोतों का अस्तित्व मिटता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को जल संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। हुलासगंज बाजार के दक्षिणी भाग में एक एकड़ नौ डिसीमल में फैले विशाल तालाब इन दिनों अस्तित्व संकट के दौर से गुजर रहा है। संरक्षण के अभाव में तालाब का अधिकांश भूभाग अतिक्रमण का शिकार हो गया है तो बचे हुए शेष भाग में जलकुंभी एंव गंदा पानी जमा रहता है। इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए न तो स्थानीय लोगों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा पहल किया जा रहा है और नहीं शासन प्रशासन के लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्धार कर दिया जाता तो इलाके में जल संकट के भीषण त्रासदी से बचाया जा सकता था। मछली पालन सहित पटवन की सुविधा से राजस्व की प्राप्ति भी हो सकती थी। इसके बावजूद इसके लिए कोई पहल नहीं हो रहा है। दरअसल जल संरक्षण की नीतियों का अनुपालन नहीं होने से तालाब का जीर्णोद्धार कार्य बंद है। स्थानीय गांव निवासी शशि शर्मा द्वारा अस्तित्व खो रहे तालाब के जीर्णोद्धार के लिए सड़क से लेकर राजधानी तक आवाज उठाई गई इसके बावजूद कोई पहल नहीं की गई।
क्या कहते है अंचलाधिकारी
तालाब के जीर्णोद्धार एवं विकास की जवाबदेही पंचायतों की है। जहां तक अतिक्रमण की शिकायत है तो इसकी जांच कराई जाएगी। तालाब को बचाने के लिए वरीय पदाधिकारियों को भी लिखा जाएगा।
शुभेन्द्र कुमार झा
क्या कहते है ग्रामीणों
तालाब का जीर्णोद्धार कर इसके चारों तरफ सड़क और रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए। यह पिकनिक स्पॉट के रुप में भी विकसित किया जा सकता है। इससे राजस्व की भी प्राप्ति हो सकती है। पटवन एवं भू-जल संरक्षण भी होगा।
शशि शर्मा
तालाब की उड़ाही कर उसके चारों तरफ पौधे लगाने की जरुरत है। इसमें मत्स्य पालन कर भी लाभ कमाया जा सकता है। सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी।
कृष्ण मुरारी शर्मा
तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने की जरुरत है। इस तालाब का धार्मिक महत्व है। इसके जरीए जल संरक्षण भी किया जा सकता है।
शंकर प्रसाद