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सं.- फल्गू में विष्णु के छवि दर्शन को चंद्रमौलि अवतार

जहानाबाद भगवान विष्णु के निरंजना नदी में छवि दर्शन का वर्णन वायु पुराण में मिलता है। झारखंड के छोटानागपुर के पहाड़ से निकली निरंजना को बोधगया में फल्गू के नाम से जानते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 09:59 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:18 AM (IST)
सं.- फल्गू में विष्णु के छवि दर्शन को चंद्रमौलि अवतार
सं.- फल्गू में विष्णु के छवि दर्शन को चंद्रमौलि अवतार

जहानाबाद : भगवान विष्णु के निरंजना नदी में छवि दर्शन का वर्णन वायु पुराण में मिलता है। झारखंड के छोटानागपुर के पहाड़ से निकली निरंजना को बोधगया में फल्गू के नाम से जानते हैं। पीतरों की आत्मा की शांति इसी नदी में पींडदान से मिलती है ऐसी मान्यता हिदू धर्म में चली आ है। बदलते समय के जब निरंजना सूख गई तो चंद्रमौलि ने कठिन श्रम से जलधारा निकालने में कामयाब हुए।

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चंद्रमौलि का अर्थ जिसके सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं अर्थात भगवान शंकर को कहा जाता है। हम बात भगवान शंकर की नहीं बल्कि जहानाबाद के चंद्रमौलि की कर रहे हैं जिन्होंने अपने बूते निरंजना की बंद जलधारा को गंगा तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की।

बात ज्यादा नहीं बल्कि एक दशक पुरानी है। फल्गू नदी में बांध और बालू से जल की धारा जहानाबाद तक पहुंचना मुश्किल था। जहानाबाद से आगे बढ़ने पर नदी के गर्भ में केवल बालू नजर आता था। पीतरों को तारण करने वाली फल्गू का हश्र देखकर चंद्रमौलि फिर से जलधारा लाने की ठान ली। पहले तो ढाई सौ किलोमीटर की पदयात्रा कर निरंजना नदी को बचाने के लिए जन जागरुकता अभियान चलाया।

समाज सेवा के लिए छोड़ी नौकरी

घोसी प्रखंड के देहुनी गांव के रहने वाले चंदमौलि के दिल में बचपन से देश भक्ति का जज्बा था। पढ़ाई के बाद सीमा सुरक्षा बल में प्लाटून कमांडर के रूप में सेवा दे रहे थे। वहां समाज सेवा का ख्याल आया तो नौकरी छोड़कर घर आ गए। नदी प्रेम को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम कार्यकाल में उन्हें इंटर लिप्टिग रिवर टास्क फोर्स के सात सदस्यों में शामिल किया।

लेनी पड़ी थी दुश्मनी भी

नदी बचाने की जंग में उन्हें बालू माफिया से दुश्मनी भी लेनी पड़ी थी। बालू माफियाओं को खनन में बाधा होने लगी जब नदी की सफाई करने चले। वर्ष 2009 में चंद्रमौली ने चतरा के सिमरिया घाट से पटना जिले के पभेड़ी मोड़ तक तकरीबन ढाई सौ किलोमीटर की पदयात्रा आरंभ की तो सरकार की नींद खुलने लगी।

नहीं मिलता अपेक्षित सहयोग

चंद्रमौली कहते हैं कि उन्हें यह लगा कि कोई पानी से तो कोई पानी के बगैर मर रहा है। मोक्ष देने वाली नदी सूख गई तो हमारा धर्म और पीतरों की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। अभियान से जल धारा निकली और स्वच्छता के लिए बोधगया में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगा दिया गया।


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