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देवी मंदिरों में हुई मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना

गुरुवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना को भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ पड़ी। तड़के करीब चार बजे से ही जिले के तमाम मंदिरों में भक्त पहुंचने लगे। इस बीच मां दुर्गा के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुजायमान होता रहा। मंदिरों में भीड़ का आलम यह रहा कि दोपहर बाद तक मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। लोगों ने घरों में भी मां दुर्गा की पूजा अर्चना की सप्तशती का पाठ किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:05 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:44 PM (IST)
देवी मंदिरों में हुई मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना
देवी मंदिरों में हुई मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना

गोपालगंज : गुरुवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना को भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ पड़ी। तड़के करीब चार बजे से ही जिले के तमाम मंदिरों में भक्त पहुंचने लगे। इस बीच मां दुर्गा के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुजायमान होता रहा। मंदिरों में भीड़ का आलम यह रहा कि दोपहर बाद तक मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। लोगों ने घरों में भी मां दुर्गा की पूजा अर्चना की सप्तशती का पाठ किया।

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जिले के तमाम देवी मंदिरों में मां की पूजा अर्चना को सुबह से ही लोगों का तांता लग गया। भक्त घंटों कतारबद्ध होकर मां की पूजा अर्चना के लिए मंदिर के बाहर इंतजार करते रहे। पूजा को आए लोगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त दिखी। पुलिस कर्मी के अलावा मंदिर परिसर में मौजूद स्वयंसेवक लोगों को कतार में लगाने के लिए जुटे रहे। थावे दुर्गा मंदिर का कपाट बंद रहने के कारण मंदिर में पूजा अर्चना को पहुंचे भक्तों को निराशा हुई। बावजूद इसके नवरात्र के कारण जिला मुख्यालय के दुर्गा मंदिरों के अलावा बरौली के नकटो भवानी मंदिर, घोड़ा घाट मंदिर, लछवार मंदिर, हीरमती रानी मंदिर, जलालपुर स्थित दुर्गा मंदिर सहित ताम मंदिरों में पूजा अर्चना को भारी संख्या में लोग पहुंचे। मीरगंज, हथुआ, कुचायकोट, पंचदेवरी, कटेया में भी शारदीय नवरात्र के छठे दिन विभिन्न दुर्गा मंदिरों में लोगों की भीड़ लगी रही। सुबह से ही मंदिरों में लोगों की कतारें लग गई। लछवार स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी ने मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी बारे में जानकारी देते हुए बताया कि महर्षि कात्यायन ने मां भगवती को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठोर तपस्या की थी। कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि माता अपने भक्तों के लिए उदार भाव रखती हैं और उनकी हर हाल में मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।


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