किसी भी वस्तु को जाने बिना उससे भक्ति संभव नहीं : रामानंद दास
कुचायकोट प्रखंड के बथाना कुट्टी स्थित रामजानकी मठ में संत शिरोमणि विशंभर दासजी महाराज के संयोजन में चल रहे अति विष्णु महायज्ञ के चौथे दिन आरुणि के घर्षण और मंत्रजप के बीच अग्नि मंथन कर दीप प्रज्वलित की गई। यज्ञ भगवान के प्रज्वलित अग्नि में हवन का कार्य प्रारंभ हुआ। यज्ञ स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ शुक्रवार की सुबह से ही परिक्रमा और प्रवचन सुनने के लिए एकत्रित होने लगी।
गोपालगंज। कुचायकोट प्रखंड के बथाना कुट्टी स्थित रामजानकी मठ में संत शिरोमणि विशंभर दासजी महाराज के संयोजन में चल रहे अति विष्णु महायज्ञ के चौथे दिन आरुणि के घर्षण और मंत्रजप के बीच अग्नि मंथन कर दीप प्रज्वलित की गई। यज्ञ भगवान के प्रज्वलित अग्नि में हवन का कार्य प्रारंभ हुआ। यज्ञ स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ शुक्रवार की सुबह से ही परिक्रमा और प्रवचन सुनने के लिए एकत्रित होने लगी। अग्नि प्रज्वलन के बाद आचार्य राघव पांडेय और बृजेश पांडेय के नेतृत्व में 101 विद्वान पंडितों ने पूजन और जाप का कार्यक्रम पूर्ण किया। पूजन के बाद व्यासपीठ से भक्तों को रामानंद दासजी महाराज ने भागवत कथा का रसपान कराया। भागवत कथा करते हुए रामानंद दासजी महाराज ने कहा कि भागवत कथा भगवान का मंत्र में स्वरूप है। श्रीमद् भागवत कथा का यह शब्द में विग्रह है। भागवत कथा की चितन और मनन से भगवान की परम धर्म के प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा में भगवान श्रीराम और कृष्ण के आचरण एवं लीलाओं का विधिवत वर्णन किया गया है। हमें भगवान के आदर्शों पर चलने का प्रयास करना चाहिए। प्रभु श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिखाए गए मार्ग हमें मोक्ष तक पहुंचाते हैं। उनकी लीलाओं से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। भगवान कृष्ण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीला का चितन कर उनके सूक्ष्म बिदुओं तक हमें पहुंचना चाहिए और उसमें छिपे रहस्य के बारे में जानना और समझना चाहिए। भागवत कथा के प्रारंभ में वर्णित किसी भी वस्तु को जाने बिना उससे भक्ति संभव नहीं है। हमें भागवत के मूल तत्व को समझना और जानना चाहिए। इससे पूर्व यज्ञ के आयोजक संत शिरोमणि विशंभर दासजी महाराज ने उपस्थित भक्तों को भक्ति भावना से ओतप्रोत हो भगवान की भक्ति के विभिन्न मार्गों पर विस्तार से चर्चा किया। इस मौके पर अर्धेन्दू दस बाबू, पूर्व कस्टम अधिकारी रवींद्रनाथ पांडेय समेत काफी संख्या में श्रदालु मौजूद रहे।