कहीं यात्रियों के लिए जानलेवा न बन जाए ठंड
सूबे की राजधानी पटना से लौट कर अपने घर आए कुचायकोट के सुधीर कुशवाहा ने बिस्तर पकड़ लिया है। ये पटना से बस पकड़ कर अपने घर के लिए चले थे।
गोपालगंज : सूबे की राजधानी पटना से लौट कर अपने घर आए कुचायकोट के सुधीर कुशवाहा ने बिस्तर पकड़ लिया है। ये पटना से बस पकड़ कर अपने घर के लिए चले थे। सुबह तीन बजे ये शहर के राजेंद्र बस स्टैंड पर पहुंचे। कड़ाके की ठंड में तीन घंटे तक कुचायकोट के लिए सवारी वाहन मिलने का इंतजार करते रहे। सुबह छह बजे जब इन्हें सवारी वाहन मिला तब तक ठंड लगने से इनकी तबीयत काफी खराब हो चुकी थी। घर पहुंचते-पहुंचते ये कोल्ड डायरिया की चपेट में आ चुके थे। सुधीर कुशवाहा बताते हैं कि बस से उतरने के बाद बस स्टैंड में इधर उधर घूमते रहे कि शायद कहीं अलाव जला हुआ मिल जाए। लेकिन पूरे बस स्टैंड परिसर में कहीं भी अलाव नहीं जल रहा था। कड़ाके की इस ठंड में बस से सफर करने वाले सभी यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। सूबे की राजधानी पटना के लिए शहर के राजेंद्र बस स्टैड से बसें चलती हैं। पटना के लिए बसों का संचालन रात के डेढ़ बजे से शुरू होता है। बस पकड़ने के लिए रात में ही लोगों का बस स्टैंड पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
शहर के राजेंद्र बस स्टैंड की हर साल बंदोबस्ती होती है। इस बस स्टैड से राजस्व की रूप में लाखों रुपये की आय होती है। लेकिन इसके बाद भी यहां यात्रियों की सुविधा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कड़ाके की इस ठंड में भी बस स्टैंड परिसर में कहीं भी अलाव नहीं जलाया गया है। ऐसे में बस पकड़ने के लिए यहां आने वाले यात्री ठंड की चपेट में आने से बीमार पड़ रहे हैं। कुचायकोट के सुधीर कुशवाहा जैसे कई यात्री हर दिन बस स्टैंड पर ठंड की चपेट में आने से बिस्तर पकड़ रह लेते हैं। शनिवार को भी राजेंद्र बस स्टैंड परिसर में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं थी। यात्री ठिठुरते हुए बस का इंतजार करते हुए मिले। अपने परिवार के साथ छपरा जाने के लिए बस पकड़ने राजेंद्र स्टैंड आए सरेया मोहल्ला के निवासी अशोक ¨सह ने बताया कि ठंड से हालत खराब है। तेज सर्द हवा के कारण बस के इंतजार में खड़े लोगों ठिठुर रहे हैं। लेकिन यहां कहीं भी अलाव नहीं जलाया गया है। वहीं कुछ बस के चालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्टैंड का बंदोबस्ती लेने वाले संवेदक के कर्मचारी से कई बार यहां अलाव जलाने के लिए कहा गया। लेकिन वे अलाव की व्यवस्था नहीं की जा रही है। प्रशासन भी बस स्टैंड परिसर या उसके आसपास अलाव जलाने के प्रति उदासीन बना हुआ है।