खुद स्वावलंबी बन औरों को आगे बढ़ने की राह दिखा रहीं जया
जागरण संवाददातागोपालगंज यह उस महिला के जज्बे की कहानी है जो समय रहते संकट को भांप
जागरण संवाददाता,गोपालगंज : यह उस महिला के जज्बे की कहानी है, जो समय रहते संकट को भांप कर अपना हुनर निखार अब स्वावलंबी बन औरों को आगे बढ़ने की राह दिखा रही हैं। इस महिला के पति बाहर काम करते थे। इसी दौरान कोरोना महामारी के कारण काम धंधे पर संकट के बादल मंडराने लगा। जिसे देखकर ये छपरा कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण लेने लगी। इस बीच लॉकडाउन लग गया। पति का काम धंधा बंद होने से वे घर लौट गए। लॉकडाउन लगने के बाद ये भी घर चली आईं। छपरा से घर आने के बाद इन्होंने अपना प्रशिक्षण जारी रखने के लिए कृषि विज्ञान सिपाया से संपर्क कर प्रधानमंत्री गरीब रोजगार कल्याण योजना के तहत प्रशिक्षण लेकर अपने हुनर को संवार कर मशरूम की खेती शुरू की। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में ही मशरूम की खेती की शुरुआत कर संकट गहराने से पहले ही विजयीपुर प्रखंड के छितौना विजयीपुर गांव निवासी जया देवी अपने पैरों पर खड़ी हो गईं। अब ये अन्य महिलाओं को मशरूम का बीज उपलब्ध करा उन्हें स्वावलंबी बनने की राह दिखा रही हैं। इसकी पहल से कोरोना काल में घर गृहस्थी चलाने को लेकर संकट में फंसी महिलाएं मशरूमकी खेती कर इससे होने वाली आय से अपने घर का चूल्हा जला रही हैं।
विजयीपुर प्रखंड के छितौना विजयीपुर गांव निवासी जया देवी की दिनचर्या कुछ महीने पहले तक घर गृहस्थी तक ही सिमटी थी। दिल्ली में काम कर रहे इनने पति शैलेशचंद्र सिंह की अच्छी खासी आय से घर परिवार मजे से चल रहा था। इसी बीच मार्च महीने के शुरुआती दिनों में कोरोना महामारी को लेकर काम धंधे पर संकट के बादल मंडराने लगा। जिससे समय रहते जया देवी ने भांप लिया। जया देवी बताती हैं कि उनके मायके उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भटनी थाना क्षेत्र के बलुआ अफगान गांव में मशरूम की खेती होने के कारण वे मशरूम की खेती के तौर तरीके जानती थी। कोरोना को लेकर सामने आ रहे संकट को देखकर छपरा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम की खेती को लेकर आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल होकर प्रशिक्षण लेने लगीं। इसी बीच लॉकडाउन लागू हो गया। लॉकडाउन लागू होने के बाद अपने पति शैलेशचंद्र सिंह के घर लौटने पर ये भी घर लौट आईं। जया देवी बताती हैं कि पति का काम धंधा बंद हो गया था। जिसे देखते हुए प्रशिक्षण जारी रखने का फैसला लेते हुए कुचायकोट प्रखंड के कृषि विज्ञान केंद्र सिपाया से संपर्क कर गरीब रोजगार कल्याण योजना के तहत मशरुम की खेती तथा मार्केटिग का प्रशिक्षण पूरा किया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ये खुद मशरूम की खेती करना शुरू करने के साथ ही मशरूम की दुकान खोल लिया। वे अपने यहां तैयार मशरूम के साथ ही मशरूम का उत्पादन करने वाले लोगों से संपर्क कर उनकी मशरूम भी अपनी दुकान से बेचने लगी। समय रहते आने वाले संकट कर भांप कर आगे कदम बढ़ाने से अब जया देवी स्वावलंबी बन गई हैं। अब ये अन्य महिलाओं को बीच देकर उन्हें मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इनकी पहल से एक दर्जन से अधिक महिलाएं मशरूम की खेती कर कोरोना संकट के इस काल में अपने घर का चूल्हा जला रही हैं।