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शहरी क्षेत्र में गोरखपुर मॉडल से बनेगा शवदाह गृह

अब शहरी क्षेत्र में गोरखपुर मॉडल से शवदाह गृह बनाया जाएगा। नगर परिषद में चार शमशान घाट बनाने की पहल की गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 05:11 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 05:11 PM (IST)
शहरी क्षेत्र में गोरखपुर मॉडल से बनेगा शवदाह गृह
शहरी क्षेत्र में गोरखपुर मॉडल से बनेगा शवदाह गृह

गोपालगंज। अब शहरी क्षेत्र में गोरखपुर मॉडल से शवदाह गृह बनाया जाएगा। नगर परिषद में चार शमशान घाट बनाने की पहल की गई है। इन शमशान घाट पर शवदाह गृह बनाया जाएगा। गोरखपुर मॉडल से बनने वाले शवदाह गृह में लकड़ी की कम खपत होगी और प्रदूषण भी कम होगा। नगर विकास विभाग के निर्देश के बाद नगर परिषद ने शहर में चार शमशान घाट बनाने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है। एक-एक शमशान घाट शहरी क्षेत्र के चारों दिशाओं में बनाया जाएगा। जमीन की तलाश पूरी होने के साथ ही शमशान घाट तथा शवदाह गृह बनाने का काम शुरू हो जाएगा।

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नगर परिषद क्षेत्र में कुल 28 वार्ड है। जिनमें प्रत्येक वार्ड में करीब दो हजार के आसपास की आबादी रहती है। लेकिन शहरी क्षेत्र में एक भी शमशान घाट नहीं है। हालांकि पूर्व में शहर के चिराई घर के समीप मृत व्यक्ति का दाह संस्कार करने के लिए मुक्ति धाम बनाया गया था। इस मुक्ति धाम में शव को जलाने से लेकर लोगों के स्नान करने की व्यवस्था भी की गई थी। इसके लिए कमरे भी बनाए गए थे। लेकिन निर्माण के बाद से इस मुक्ति धाम में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। अब तो इस मुक्ति धाम का अस्तित्व मिटने के कगार पर पहुंच गया है। शहर में शमशान घाट नहीं होने से लोगों को मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के लिए सिधवलिया प्रखंड के डुमरिया घाट जाना पड़ता है। या खेत तथा खाली पड़ी जमीन पर कुछ लोग मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते हैं। लेकिन अब अंतिम संस्कार को लेकर आ रही परेशानी दूर होने वाली है। नगर परिषद ने शहर में चार शमशान घाट बनाने की पहल की है। इन शमशान घाट पर गोरखपुर मॉडल से शवदाह गृह भी बनाया जाएगा।

इसके लिए योजना भी बन कर तैयार हो गया है। शमशान घाट के लिए जमीन की तलाश करने का काम भी अंतिम चरण में है। इनसेट

अभ्रक की ईंट से बनेगा शवदाह गृह

गोपालगंज : गोरखपुर मॉडल के शवदाह गृह एक हॉल नुमा होता है। इसके चारों तरफ अभ्रक की ईंट से दीवारें बनाई जाती हैं। शवदाह गृह ऊपर से बंद रहता है। इसमें एक पतली चिमनी होती है। अभ्रक की ईंट से बने होने के कारण लकड़ी से निकलने वाली आंच उत्सर्जित होती है। जिससे लकड़ी की खपत कम होती है तथा प्रदूषण भी कम होता है। इस शवदाह गृह में एक साथ दो शव जलाए जा सकते हैं। अमूमन एक शव को जलाने में चार-पांच ¨क्वटल लकड़ी की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस शवदाह गृह में एक ¨क्वटल लकड़ी से शव जलाया जा सकता है।

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क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी

शहरी क्षेत्र में चार शमशान घाट बनाने की पहल की गई है। नगर विकास विभाग के निर्देश के आलोक में शमशान घाट पर गोरखपुर मॉडल से शवदाह गृह बनाए जाएंगे। शहरी क्षेत्र के चारों दिशाओं में एक एक शमशान घाट बनाने के लिए जमीन की तलाश अंतिम चरण में है। जमीन मिलने के साथ ही शमशान घाट तथा शवदाह गृह बनाने का काम शुरू किया जाएगा।

हरेंद्र कुमार चौधरी, चेयरमैन, नगर परिषद गोपालगंज


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