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शक्तिरूपेण संस्थिता

गोपालगंज : जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सिवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग के किनारे स्थित है मां दुर्गा

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 11:20 PM (IST)
शक्तिरूपेण संस्थिता
शक्तिरूपेण संस्थिता

गोपालगंज : जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सिवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग के किनारे स्थित है मां दुर्गा का ऐतिहासिक मंदिर। करीब तीन सौ साल पूर्व स्थापित यह जागृत प्राचीन शक्तिपीठ में से एक है।

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ऐसे पहुंचे मंदिर :

हर पांच मिनट पर थावे मंदिर आने के लिए जिला मुख्यालय से ऑटो व बस की सुविधा है। रेल द्वारा भी सिवान व गोरखपुर से यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर के समीप स्थित देवी हाल्ट पर सभी ट्रेनें रुकतीं हैं।

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सप्तमी को होती है विशेष पूजा

मंदिर में सप्तमी के दिन विशेष पूजा होती है। इस दिन यहां महाप्रसाद का वितरण किया जाता है। यहां सालों भर मां की दिन में दो बार आरती की जाती है। नवरात्र को छोड़ अन्य दिनों में रात्रि की आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं।

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काफी प्राचीन है इतिहास

इस शक्तिपीठ से भक्त रहषु स्वामी तथा चेरो वंश के क्रूर राजा की कहानी जुड़ी हुई है। वर्ष 1714 के पूर्व यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था। वह बड़ा ही क्रूर था। राजा के दबाव पर भक्त रहषु स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे पहुंचीं। उनके थावे पहुंचने के साथ ही राजा मनन का महल खंडहर में तब्दील हो गया और भक्त रहषु के सिर से मां ने अपना कंगनयुक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिया। देवी दर्शन के साथ ही राजा मनन के प्राण पखेरू हो गए। तब से यहां मां की आराधना होती आ रही है।

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मंदिर की विशेषता

वन प्रदेश से घिरे होने के कारण पूरा मंदिर परिसर रमणीय दिखता है। मंदिर में प्रवेश व निकास के लिए एक-एक द्वार हैं। जहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हैं। मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से लोगों की समस्याएं दूर हो जाती है।

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कहते हैं मुख्य पुजारी : आदिकाल से यहां मां की पूरी भक्ति के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मां भगवती भक्त की पुकार पर प्रकट हुई थीं। यहां पूजा-अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

सुरेश पाण्डेय

पुजारी, थावे दुर्गा मंदिर

मां थावे भवानी की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। मैं प्रतिदिन मां की पूजा-अर्चना करने के लिए यहां आता हूं। मां के आशीर्वाद से जीवन में कभी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ा।

- अनिरुद्ध प्रसाद, रामचंद्रपुर गांव निवासी


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