सृष्टि के आदिकाल से प्रचलित है यज्ञ : विशंभरदास
गोपालगंज : कटेया प्रखंड के गौरा में श्रीअवधकिशोर ठाकुरजी पूरब मठ में चल रहे श्रीअतिरुद्र महायज्ञ की
गोपालगंज : कटेया प्रखंड के गौरा में श्रीअवधकिशोर ठाकुरजी पूरब मठ में चल रहे श्रीअतिरुद्र महायज्ञ की शनिवार को पूर्णाहुति दी गई। इस मौके पर संत शिरोमणि श्रीविश्वम्भर दासजी को ग्रामीणों तथा शिष्यों ने सम्मानित किया। संत शिरोमणि श्रीविश्वम्भर दास ने कहा की जब सारे जप-तप निष्फल हो जाते हैं, तब यज्ञ ही सब प्रकार से रक्षा करता है। सृष्टि के आदिकाल से प्रचलित यज्ञ सबसे पुरानी पूजा पद्धति है। आज आवश्यकता है यज्ञ को समझने की। वेदों में अग्नि परमेश्वर के रूप में वंदनीय है। यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म माना गया है। समस्त भुवन का नाभि केंद्र यज्ञ ही है। यज्ञ की किरणों के माध्यम से संपूर्ण वातावरण पवित्र व देवगम बनता है। यज्ञ भगवान विष्णु का ही अपना स्वरूप है। वेदों का संदेश है कि शाश्वत सुख और समृद्धि की कामना करने वाले मनुष्य यज्ञ को अपना नित्य कर्तव्य अवश्य समझें। जिन्हें स्वर्ग की कामना हो, जिन्हें जीवन में आगे बढ़ने की आकांक्षा हो, उन्हें यज्ञ अवश्य करना चाहिए। यज्ञ कुंड से अग्नि की उठती हुई लपटें जीवन में ऊंचाई की तरह उठने की प्रेरणा देती हैं।
यज्ञ करने वाले बड़भागी होते हैं। इस लोक में उनका दु:ख-दारिद्रय तो मिटता ही है, साथ ही परलोक में भी सद्गति की प्राप्ति होती है। यज्ञ में जलने वाली समिधा समस्त वातावरण को प्रदूषण मुक्त करती है। यज्ञ से शांति, सुख की प्राप्ति होती है। महायज्ञ के समापन के मौके पर प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि आनंद मिश्र, अर्धेन्दु ब्रम्हचारी, सेवानिवृत कस्टम अधीक्षक रवींद्रनाथ पाण्डेय, मणिराम दास जी , सर्वेश्वर दासजी , जितेंद्र द्विवेदी सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।