कल से शुरू होगा पितृ पक्ष, पितरों की आत्मा की शांति को करें तर्पण
आश्विन के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों के पूजन का पर्व पितृ पक्ष इस साल 24 सितंबर से शुरू होगा। पितृ पक्ष में लोग तर्पण कर पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
गोपालगंज। आश्विन के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों के पूजन का पर्व पितृ पक्ष इस साल 24 सितंबर से शुरू होगा। पितृ पक्ष में लोग तर्पण कर पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। पूर्वजों का पूजन भी तिथि के अनुसार किया जाता है, इसी दिन तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए। कुछ लोग सभी दिवसों में पितृ को जल देने की मान्यता का निर्वहन करते हैं।
पंडित किशोर उपाध्याय ने बताया कि 24 सितंबर को पूर्णिमा है जो 25 सितंबर को सुबह तक है। लेकिन इस दिन मध्याह्न में प्रतिपदा का श्राद्ध होगा जबकि अगले दिन सुबह 8.57 बजे तक प्रतिपदा है। फिर भी इस दिन मध्याह्न में द्वितीया श्राद्ध लोग करेंगे। तर्पण और श्राद्ध मध्याह्न में करना चाहिए। इस समय ही पूर्वज आते हैं ऐसी मान्यता शास्त्रों में दी गई है। उन्होंने बताया कि 27 को तृतीया, 28 को चतुर्थी, 29 को पंचमी (भरणी) का श्राद्ध , 30 को षष्ठी का श्राद्ध होगा। इस बार पितृ पक्ष में षष्ठी तिथि की हानि है। एक अक्टूबर को सप्तमी, दो को अष्टमी का श्राद्ध होगा। तीन अक्टूबर को नवमी, चार को दशमी, पांच को एकादशी, छह को द्वादशी का श्राद्ध होगा। द्वादशी के दिन ही संन्यासी व वैष्णव का श्राद्ध किया जाएगा। सात को त्रयोदशी, आठ को चतुर्दशी का श्राद्ध होगा। चतुर्दशी के दिन उनका श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु किसी हादसे में हुई हो या फिर फिर शस्त्र से की गई हो। नौ अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। पितृ विसर्जन अमावस्या इस दिन होगी।
इनसेट
क्या करना है जरूरी
- श्राद्ध कर्म करने के लिए यज्ञोपवीत धारण करना जरूरी।
- दक्षिण दिशा श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।
- तर्पण, तिल दान तथा स्वधा शब्द के उच्चारण के साथ किया गया श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है।