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ओवरलोडिग की छूट, हादसों में जा रही लोगों की जान

गोपालगंज आधे अधूरे सड़क निर्माण व ओवरलोड वाहन यहां सड़क हादसे के प्रमुख कारण हैं। वाहन चलाने में यातायात के नियमों का पालन नहीं होना व फर्राटा भरते वाहनों के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 12:13 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:13 AM (IST)
ओवरलोडिग की छूट, हादसों में जा रही लोगों की जान
ओवरलोडिग की छूट, हादसों में जा रही लोगों की जान

गोपालगंज : आधे अधूरे सड़क निर्माण व ओवरलोड वाहन यहां सड़क हादसे के प्रमुख कारण हैं। वाहन चलाने में यातायात के नियमों का पालन नहीं होना व फर्राटा भरते वाहनों के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद नहीं की गई। यहीं कारण रहा है कि जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में प्रति वर्ष सैकड़ों लोग काल कलवित होते हैं तथा कई घायल होकर आजीवन विकलांगता झेलने को विवश होते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं हाइवे पर होती है। एनएच 28 तथा एनएच 85 पर कई ऐसे डेंजर प्वाइंट हैं, जिन्हें लोग डेथ प्वाइंट भी करार देने से नहीं हिचकते। बावजूद इसके इन स्थानों पर किसी भी तरह का बोर्ड या साइनेज नहीं लग सका है। आलम यह कि जिले की सीमा में स्थित 46 किलोमीटर की दूरी में एनएच 28 के कई इलाकों में अबतक संकेतक नहीं लगना हादसों का कारण बन रहा है।

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नहीं होती यातायात नियमों की जांच

गोपालगंज : यहां यातायात के नियमों की जांच के नाम पर महज कोरम पूरा किया जाता है। प्रशासनिक स्तर पर कभी भी इसके लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता। यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण आए दिन हादसे होते हैं। बावजूद इसके इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद आज तक नहीं की गई।

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नहीं होता सीट बेल्ट का उपयोग

गोपालगंज : यहां हजारों की संख्या में चार पहिया वाहन सड़क पर फर्राटा भरते हैं। लेकिन 90 प्रतिशत चारपहिया वाहन में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता। हद तो यह कि अधिकारी भी जिस वाहन का उपयोग करते हैं, उनमें भी शायद ही निर्धारित मानक का उपयोग होता हो। पिछले तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के आरोप में आजतक किसी भी वाहन चालक या उसपर बैठे व्यक्ति पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।

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हाईव पर बने हुए हैं कई डेंजर जोन

गोपालगंज : जिले के बीचोबीच से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय उच्च पथ पर सरपट चाल ही सपना बना हुआ है। डिवाइडर, पार्किंग स्लाट से लेकर कलर लाइट रिफ्लेक्टर्स की बात करना हाइवे के कुछ इलाकों भी बेमानी है। आबादी वाले इलाकों में बनाए जाने वाले कई ओवरब्रिज अधूरे पड़े हैं। ऐसे में लोग जान हथेली पर लेकर सड़क पर चलते है और ईश्वर का नाम लेकर उसे पार करते हैं। जिले से होकर एनएच-28 और एनएच-85 गुजरती है। नौ साल पहले एनएच-28 को फोरलेन बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन यह काम आज तक पूरा नहीं हो सका है। शहरी क्षेत्र में बंजारी मोड़, जादोपुर चौक, साधु चौक और हजियापुर को एनएच 28 शहर को दो भाग काटती है, लेकिन यहां का निर्माण अब भी अधूरा ही है।

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जुगाड़ वाहन भी हादसे की वजह

गोपालगंज : यहां होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के अन्य कारक में जुगाड़ वाहन भी शामिल हैं। जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक में सैकड़ों की संख्या में जुगाड़ वाहन सड़क पर चलते नजर आते हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारियों की नजर इनकी ओर नहीं है। ये जुगाड़ वाहन एक ओर सरकार के टैक्स की चोरी करते हैं, तो दूसरी ओर दुर्घटनाओं के कारण भी बनते हैं। बावजूद इसके इन जुगाड़ वाहनों पर लगाम लगाने की कवायद नहीं की जा सकी है।

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जहां चाहा खड़ी कर दिया वाहन

गोपालगंज : पूरे जिले में पार्किंग की व्यवस्था सटीक नहीं दिखती है। ग्रामीण इलाके तो दूर शहरी इलाके में भी जहां चाहा वहीं लगा दिया वाहन के तर्ज पर सड़क किनारे वाहन खड़े होते हैं। पार्किंग सिस्टम को दुरुस्त करने में अहम जिम्मेदारी उठाने वाले पुलिस कर्मियों के वाहन भी सड़क पर जैसे-तैसे खड़े होते हैं। आजतक पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए की गई कार्रवाई कारगर साबित नहीं हो पाना इस समस्या का एक बड़ा कारण है।


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