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बेहाल उद्योग, संकट में दिख रहे कामगार

वैसे घोषणाएं तो बहुत हुई। लेकिन इन घोषणाओं पर अमल की कवायद अबतक नहीं हुई। ऐसे में यहां उद्योग धंधे चौपट होते गए। चीनी मिल से लेकर डालडा फैक्ट्री तक एक के बाद बंद होते गए। मिलों के लगातार बंद होने से कामगार संकट में आ गए। कई कामगार पैसों के अभाव में भूखों मरने को विवश हो गए, तो कुछ ने मेहनत मजदूरी करने अपने परिवार को जैसे-तैसे संभाला।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Feb 2018 03:02 AM (IST)Updated: Fri, 16 Feb 2018 03:02 AM (IST)
बेहाल उद्योग, संकट में दिख रहे कामगार
बेहाल उद्योग, संकट में दिख रहे कामगार

गोपालगंज। वैसे घोषणाएं तो बहुत हुई। लेकिन इन घोषणाओं पर अमल की कवायद अबतक नहीं हुई। ऐसे में यहां उद्योग धंधे चौपट होते गए। चीनी मिल से लेकर डालडा फैक्ट्री तक एक के बाद बंद होते गए। मिलों के लगातार बंद होने से कामगार संकट में आ गए। कई कामगार पैसों के अभाव में भूखों मरने को विवश हो गए, तो कुछ ने मेहनत मजदूरी करने अपने परिवार को जैसे-तैसे संभाला। आज स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि इन मिलों में काम करने वाले मजदूर या उनके परिजनों की आस पूरी तरह से टूट गई है। इन परिवारों के लोगों में सरकार की वादा खिलाफी का मलाल स्पष्ट रूप से दिखता है।

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सत्तर व अस्सी के दशक में गोपालगंज जिला उद्योग धंधों के मामले में काफी धनी था। जिले में चार-चार चीनी मिलें संचालित थीं। इसके अलावा हथुआ का डालडा फैक्ट्री व सासामुसा का प्लाईवूड फैक्ट्री भी बेहतर रफ्तार से चल रहा था। दूर दराज के इलाकों में खाड़सारी उद्योग भी अपनी गति पर था। गांवों में भी छोटे-छोटे उद्योग धंधे पनप चुके थे। लेकिन अस्सी के दशक के बाद उद्योग धंधों में गिरावट का खेल शुरू हुआ। आलम यह रहा कि चंद वर्षो में ही मीरगंज का चीनी मिल, हथुआ का डालडा फैक्ट्री तथा सासामुसा का प्लाई वूड फैक्ट्री बंद हो गया। आज स्थित यह है कि जिले में जैसे-तैसे दो चीनी मिलें चल रही हैं। राजापट्टी में शराब फैक्ट्री का उद्घाटन हुआ। लेकिन सरकारी स्तर पर शराब पर प्रतिबंध लगने के बाद कई माह तक यह बंद रहा। आखिरकार इथेनाल का उत्पादन शुरू कर इस फैक्ट्री को गति देने की कवायद शुरू की गई है।

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सासामुसा चीनी मिल में भी लग गया ताला

गोपालगंज : उद्योग धंधों के बंद होने के सिलसिले में नया नाम सासामुसा चीनी मिल का भी आ गया है। यह चीनी मिल गत दिसंबर माह में हुए हादसे में नौ मजदूरों की मौत के बाद बंद हो गया। दोबारा मिल को चालू कराने के लिए लंबा आंदोलन भी चला। लेकिन इसके बाद भी चीनी मिल चालू नहीं हो सका है। ऐसे में इस मिल के सैकड़ों कामगारों के समक्ष वर्तमान समय में रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।

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क्या है बंद मिलों की स्थिति

* जंग खा रही मीरगंज चीनी मिल की मशीनें।

* कई कीमती मशीनों की हो चुकी है चोरी।

* डालडा फैक्ट्री में उग आई हैं बड़ी झाड़ियां।

* गांवों में दम तोड़ चुका है खाड़सारी उद्योग।

* सासामुसा चीनी मिल की स्थिति भी काफी खराब।

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क्या हो रही समस्याएं

* हजारों की संख्या में बेकार हो गए मजदूर।

* मीरगंज चीनी मिल के सैकड़ों कामगार भूखमरी के शिकार।

* ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी बेरोजगारी।

* बढ़ा आर्थिक संकट।


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