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इस गांव में ¨हदू-मुसलमान साथ-साथ मनाते हैं मुहर्रम

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना, ¨हदी हैं वतन है हिन्दुस्तां हमारा..,।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:10 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:10 PM (IST)
इस गांव में ¨हदू-मुसलमान साथ-साथ मनाते हैं मुहर्रम
इस गांव में ¨हदू-मुसलमान साथ-साथ मनाते हैं मुहर्रम

गोपालगंज। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना, ¨हदी हैं वतन है हिन्दुस्तां हमारा..,। देशप्रेम से ओतप्रोत इस गीत को ही इस गांव के लोगों ने अपना जीवन सूत्र बना लिया है। हथुआ प्रखंड के अटवा महादेवा गांव के ग्रामीण कई दशकों से आपसी भाईचारे का पैगाम दे रहे हैं। इस गांव में ग्रामीण आपस में साथ-साथ मिल कर दीपावली, होली से लेकर ईद मनाते हैं। शादी विवाह के मौके पर भी दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे का हाथ बंटाते हैं। इस गांव में ढाई हजार के आसपास हिन्दू आबादी के बीच मुस्लिम समुदाय के महज तीन घर हैं। इसके बावजूद इस गांव में मुहर्रम पर्व धूमधाम से बनाया जाता है। इस गांव का ताजिया आपसी भाईचारे का प्रतीक बन गया है।

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यह बात साल 1912 की है। हथुआ के अटवा महादेवा गांव निवासी सीताराम मिश्र ने मुहर्रम पर इस गांव में ताजिया रखा। उन्होंने गांव में घूम कर मुस्लिम परिवारों के साथ चंदा इकट्ठा कर ताजिया का पर्व मनाया। इसके बाद से हिन्दू परिवार के और सदस्य भी ताजिया के दिन मन्नत मांगने लगे। उनकी मन्नते भी पूरी होती गई। तबसे इस गांव के हिन्दू भी ताजिया के पर्व में मुसलमानों के साथ बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। इस गांव में ताजिया के दिन सभी ¨हदुओं के दरवाजे पर ताजिया को घुमाया जाता है। ताजिया को उठाने से लेकर घुमाने तक का काम हिन्दू करते हैं। जब ताजिया का जुलूस ¨हदुओं के दरवाजे के पास जाता है तो हिन्दू समुदाय के लोग ताजिया की पूरी आस्था के अपने दरवाजे पर पूजा करते हैं। इस दौरान ¨हदुओं के घर से प्रसाद के रूप में ताजिये को खिचड़ी और मलीदा चढाया जाता है। उसके बाद ¨हदुओं के घर से अन्न और सब्जी भी मुसलमानों को दान स्वरूप दिया जाता है।

इनसेट

क्या कहते हैं इस गांव के मुसलमान

गोपालगंज : अटवा महादेवा गांव निवासी जनु मियां, रेयाजुदीन अंसारी, इसहाक मियां, साहेब हुसैन अंसारी, फिरोज अंसारी ने बताया कि हमारे गांव में आपसी भाईचारे की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। सभी पर्व साथ मिल कर मनाते हैं। आपस भाईचारे के कारण यह एहसास नहीं होता है कि हमलोग अल्पसंख्यक हैं। एक दूसरे के सुख- दुख में सभी लोग एक साथ मिलकर हाथ बंटाते हैं। हमलोगों को ¨हदू समुदाय के लोग अपना भाई और परिवार मानते हैं। हमलोग भी उनको अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। इस गांव में कर्म और धर्म के नाम पर समुदाय और धर्म की पहचान करना किसी अजनबी के लिए मुश्किल है। होली, छठ और दिवाली को भी हमलोग ¨हदुओं के साथ मिलकर पूरे भाईचारे के साथ मनाते हैं।


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