बढ़ी उम्मीदें, फाइल से बाहर निकलेगी जलग्राम योजना
यह योजना पुरानी है। गर्मी के मौसम में जलस्तर गिरने को देखते हुए जिले में जलग्राम योजना बनाई गई।
गोपालगंज। यह योजना पुरानी है। गर्मी के मौसम में जलस्तर गिरने को देखते हुए जिले में जलग्राम योजना बनाई गई। इस योजना से बारिश का पानी सहेजना आने के बाद बारिश के पानी को बचाने के लिए चर्चा शुरू होती है। लेकिन बारिश के पानी को सहेजने के लिए बनाई गई जलग्राम योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। यह योजना फाइलों में ही दबी रह गई। लेकिन अब जलग्राम योजना को धरातल पर उतरने के दिशा में कार्य प्रारंभ हो गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अब बारिश के पानी को सहेजा जा सकेगा और गर्मी में जलस्तर गिरने की समस्या दूर हो जाएगी।
लगातार जलस्तर में हो रही कमी को देखते हुए सरकार ने जलग्राम योजना बनाई थी। सरकार के निर्देश पर इस योजना के तहत वर्ष 2014 में तीन दिनों तक कार्यशाला तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यशाला के दौरान जलग्राम के लिए स्थल चयन करने का निर्देश जारी किया गया। लेकिन बाद में इस दिशा में आगे की कार्यवाही रुक गई। इसी बीच वर्ष 2018 के अंत में दोबारा जलग्राम बनाए जाने की दिशा में बैठकों का आयोजन किया गया। इसी के साथ ही प्रत्येक प्रखंड में ऐसे स्थानों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया। जहां जलग्राम बनने की संभावना है। इस दिशा में प्रारंभिक स्तर पर कुछ स्थानों को चिन्हित करने का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। स्थान चिन्हित करने के बाद अब प्रशासनीय स्तर पर जलग्राम योजना को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है। अभी काफी कार्य किया जाना शेष
भले ही जलग्राम को लेकर प्रशासनिक कवायद प्रारंभ की गई है। लेकिन इस दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना शेष है। इसके लिए चिन्हित स्थानों को बड़े तालाब के रूप में परिवर्तित करने का कार्य अबतक प्रारंभ नहीं हो सका है। हां, इस दिशा में अबतक प्रत्येक पंचायत में एक पुराने तालाब को उनके पुराने स्वरूप में लौटाने की दिशा में कार्रवाई जरुर प्रारंभ की गई है। क्या कहते हैं लोग
जल के सरंक्षण के संबंध में आम लोग भी सरकारी स्तर पर विशेष अभियान शुरू करने की बातें कहते हैं। गोपालगंज शहरी क्षेत्र के रामबाबू प्रसाद कहते हैं कि बात सेमीनार से आगे बढ़ाने के दिशा में विभाग को आगे आना होगा। पूरे जिले में जल संरक्षण के दिशा में कोई भी अपेक्षित प्रयास नहीं दिखता है। राजेंद्र सिंह कहते हैं कि अब वह समय आ गया है कि जल संरक्षण के दिशा में प्रयास हो। अबतक इस दिशा में किए गए तमाम प्रयास नाकाफी हैं।