उपेक्षित रह गए कई ऐतिहासिक स्थल, नहीं हुआ विकास
वैसे तो इस जिले में पर्यटन की संभावनाएं अपार हैं। लेकिन पर्यटन पर्यटन के नक्शे पर ऐतिहासिक स्थलों को चमकाने के दिशा में समुचित प्रयास नहीं किया गया।
गोपालगंज। वैसे तो इस जिले में पर्यटन की संभावनाएं अपार हैं। लेकिन पर्यटन पर्यटन के नक्शे पर ऐतिहासिक स्थलों को चमकाने के दिशा में समुचित प्रयास नहीं किया गया। अगर कहीं प्रयास हुआ भी तो उसकी रफ्तार काफी सुस्त रही। यहीं कारण है कि जिले में अगर दूर दराज से पर्यटक आते भी हैं, तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पाती है।
ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को एक दशक पूर्व ही पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करने की कवायद शुरू की गई थी। तब तत्कालीन पर्यटन मंत्री रामप्रवेश राय के कार्यकाल में जिले को पर्यटन के नक्शे पर चमकाने की उम्मीदें बढ़ी थी। कई योजनाओं पर कार्य भी शुरू हुआ। लेकिन पर्याप्त राशि का आवंटन नहीं होने तथा कार्य की रफ्तार में सुस्ती के कारण स्थिति जस की तस बनी रही है। हालत यह है कि ऐतिहासिक थावे मंदिर को ही अबतक पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करने में सरकार पूर्ण रूप से सफल नहीं रही है। हालांकि यहां नेपाल से लेकर भूटान तक के पर्यटक पहुंचते हैं। लेकिन आलम यह है कि यहां सरकारी स्तर पर एक अच्छे विश्राम स्थल तक का निर्माण नहीं हो सका है। इस साल हथुआ राज की ओर से पुराने किला परिसर को अच्छे होटल के रूप में विकसित किया गया है। लेकिन सरकारी स्तर पर आजतक मंदिर परिसर में यहां आने वाले लोगों के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सका मंदिर परिसर
गोपालगंज : कभी थावे मंदिर को पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करने की कवायद की गई थी। लेकिन आज आलम यह है कि करीब एक दशक के प्रयास के बाद भी मंदिर को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका है। ऐसे में यहां आने वाले भक्त व पर्यटक मंदिर परिसर में आने के बाद खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। प्रशासनिक स्तर पर मंदिर के आसपास के इलाके को सुंदर व भव्य बनाने की दिशा में कोई भी उल्लेखनीय कार्य पिछले पांच-सात वर्ष में नहीं किया जा सका है। राशि खर्च के बाद भी मंदिरों की दशा ठीक नहीं
गोपालगंज : पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि नकटो भवानी मंदिर के सौंदर्यीकरण पर काफी पैसा खर्च किए गए। लेकिन इसके बाद भी यहां की व्यवस्था अभी तक ठीक नहीं हो सकी है। इस तरह विभाग ने मांझा प्रखंड के कोईनी गांव में स्थित विष्णु मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 26,81,000 रुपये खर्च करने की योजना बनाई। इसके अलावा इसी प्रखंड के धनखर में स्थित प्राचीन शिव मंदिर एवं महान संत विशुन बाबा के स्थल के विकास पर भी करीब नौ लाख की राशि खर्च की गई। लेकिन इसके बाद भी इन स्थानों का कायाकल्प अबतक नहीं हो सका है। कई एतिहासिक स्थल उपेक्षित
गोपालगंज : जिले के कई एतिहासिक स्थलों पर पर्यटन विभाग की नजरें अब भी नहीं हैं। कुशीनगर जाने के क्रम में भगवान बुद्ध कटेया प्रखंड के अमेया (तब आम्र ग्राम) से होकर गुजरे थे। इस स्थल का अबतक विकास नहीं हो सका है। इसके अलावा एतिहासिक घोड़ाघाट मंदिर, ननद-भौजाई का कुंआ, बैकुंठपुर प्रखंड का दिघवा गढ़ व सिंहासिनी मंदिर तथा हथुआ स्थित ऐतिहासिक गोपाल मंदिर का भी अबतक अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। दिखता है सुविधा का अभाव
गोपालगंज : जिले में आने वाले तमाम पर्यटकों के लिए कोई भी विशेष सुविधा नहीं है। चाहे व थावे का मंदिर हो या हथुआ का गोपाल मंदिर। बैकुंठपुर का सिंहासनी मंदिर हो या घोड़ाघाट व देवीगंज का नकटो भवानी मंदिर। जिले के तमाम एतिहासिक स्थलों के आसपास कोई ठहरने का सरकारी स्तर पर प्रबंध नहीं होना एक बड़ी समस्या है। अलावा इसके सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी तमाम स्थलों पर कोई भी सुविधा नहीं दिखती है।