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सात संमदर पार सेशेल्स जाने के बाद भी थामे रहे स्नेह की डोर

सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गए वैवेल रामकलावन के पिता हरिचरण महतो अपने भाई जयराम महतो के के साथ नमक का कारोबार करने घर से कोलकाता गए थे। वहां बंदरगाह पर छह साल तक दोनों भाइयों ने पानी के जहाज पर नमक लादने तथा नमक का कारोबार किया। इसके बाद हरिचरण पानी के जहाज से मारीशस चले गए। तीन साल तक कोलकाता में अपने भाई का इंतजार करने के बाद जयराम महतो अपने घर बिहार के गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव लौट आए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 04:52 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 02:39 AM (IST)
सात संमदर पार सेशेल्स जाने के बाद भी थामे रहे स्नेह की डोर
सात संमदर पार सेशेल्स जाने के बाद भी थामे रहे स्नेह की डोर

गोपालगंज : सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गए वैवेल रामकलावन के पिता हरिचरण महतो अपने भाई जयराम महतो के के साथ नमक का कारोबार करने घर से कोलकाता गए थे। वहां बंदरगाह पर छह साल तक दोनों भाइयों ने पानी के जहाज पर नमक लादने तथा नमक का कारोबार किया। इसके बाद हरिचरण पानी के जहाज से मारीशस चले गए। तीन साल तक कोलकाता में अपने भाई का इंतजार करने के बाद जयराम महतो अपने घर बिहार के गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव लौट आए। इसके बाद सालों तक जयराम महतो का अपने भाई से कोई सीधा संपर्क नहीं हो सका। लेकिन, इस दौरान भी हरिचरण महतो मारीशस से ही किसी न किसी माध्यम से अपने भाई तक अपनी बात पहुंचाकर घर परिवार तथा बिहार की माटी से स्नेह की डोर से बांधे रहे। हरिचरण महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन के सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने जाने से इस घर तथा परसौनी गांव में खुशी व्याप्त है। घर के सदस्यों तथा गांव के लोगों ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया।

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गंडक नदी के तटबंध के किनारे बसे परसौनी गांव के नोनिया टोली के लाल हरिचरण महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन के सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने जाने से मंगलवार को माहौल में खुशी की रंगत झलक रही थी। इनके चचेरे भाई 82 वर्षीय रघुनाथ महतो की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने बताया कि उनके दादा रामकुंदल महतो थे। उनके दो पुत्र हरिचरण तथा जयराम महतो थे। जयराम महतो रघुनाथ महतो के पिता थे। उन्होंने बताया कि उनके पिता जयराम महतो तथा चाचा हरिचरण महतो नमक का कारोबार करने के लिए घर के चार लोगों के साथ कोलकाता चले गए थे। वहां बंदरगाह पर काम करने के बाद चाचा हरिचरण महतो मारीशस चले गए। तीन साल तक पिता जी उनका इंतजार करने के बाद घर लौट आए। रघुनाथ महतो के घर परिवार के लोग मेहनत मजदूरी तथा गांव के छोटी से दुकान चलाते हैं। अब बड़े हो चुके इस परिवार के लोग करकट की झोपड़ियों में रहते हैं। रघुनाथ महतो के पुत्र त्रिलोकी महतो शिक्षक हैं। इनके घर की दीवार तथा छत अब पक्का हो गया है। रघुनाथ महतो बताते हैं कि अपने चाचा के बारे में बहुत कुछ अब याद नहीं है। इतना याद है कि मारीशस जाने के बाद भी वे किसी ने किसी माध्यम से अपने भाई जयराम महतो से संपर्क बनाए रखे। बाद में मोबाइल का जमाना आने पर इनके शिक्षक पुत्र त्रिलोकी महतो हरिचरण महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन से सोशल मीडिया पर संपर्क बनाए रखे। इसी बीच 10 जनवरी 2018 को वैवेल रामकलावन अपने पूर्वजों की मिट्टी को नमन करने परसौनी गांव आए थे। तब वे सेशेल्स के नेशनल असेम्बली में प्रतिपक्ष के नेता थे। रघुनाथ महतो बताते हैं कि इनके सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनके पुत्र त्रिलोकी महतो ने वाट्सएप पर संपर्क कर उसे बातचीत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी तो राष्ट्रपति चुने गए हैं। कुछ समय बाद आपलोगों से मिलने तथा बिहार व अपने गांव की माटी को नमन करने आएंगे।


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