Move to Jagran APP

रेंग रहे वाहन, शहर में हांफ रही ट्रैफिक व्यवस्था

जागरण संवाददाता गोपालगंज जिला मुख्यालय में वाहनों की भरमार के बीच यातायात की व्यवस्था दशको

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:25 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:25 PM (IST)
रेंग रहे वाहन, शहर में हांफ रही ट्रैफिक व्यवस्था
रेंग रहे वाहन, शहर में हांफ रही ट्रैफिक व्यवस्था

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : जिला मुख्यालय में वाहनों की भरमार के बीच यातायात की व्यवस्था दशकों पुरानी है। आबादी बढ़ी और उसकी के अनुपात में सड़कों पर वाहन उतर आए, लेकिन आज तक जिले में ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था लागू नहीं हो सकी है। पुलिस के जवान और होमगार्ड के सहारे जैसे-तैसे शहरी इलाकों में यातायात की व्यवस्था बनाए रखने की जद्दोजहद अभी भी जारी है। नतीजा सामने है। सड़क हादसों में लोग जान गवां रहे हैं और शहरी इलाकों से लेकर राष्ट्रीय उच्च पथ पर जाम में फंस कर वाहन चालक पसीना बहाने को मजबूर होते हैं। सड़कें है तो वाहन उस पर चलेंगे ही, कुछ इसी तर्ज पर पूरे जिले में यातायात की व्यवस्था संचालित हो रही है। ऐसे में शहरी इलाके में सुबह के दस बजे से देर शाम तक वाहन सड़क पर रेंगते नजर आते हैं।

loksabha election banner

शहर में यातायात के नियम-कायदे, पूरी तरह से वाहन चालकों और सड़क पर चलने वाले लोगों की मर्जी पर अभी भी निर्भर है। वाहनों की शहर में इंट्री पूरे दिन होती है। ना रोकटोक और ना ही इसपर किसी की नजर। हद तो यह कि यातायात पुलिस के नाम पर तैनात किए गए होमगार्ड के जवान नगर के कई चौक चौराहों पर टैंपो स्टेंड का संचालन करते जरूर नजर आ जाते हैं। हर ओर पैसों का खेल चलता है। पैसा है तो कहीं भी वाहन खड़ा किया जा सकता है। प्रशासनिक स्तर पर शहर के बीचोबीच से अवैध तरीके से ऑटो के परिचालन पर कार्रवाई का दावा किया गया था। लेकिन आजतक इस दिशा में कार्रवाई नहीं होना व्यवस्था में नाकामी का एक सबसे बड़ा उदाहरण है।

नहीं है ट्रैफिक पुलिस

जिले में ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था नहीं है। ट्रैफिक पुलिस की कमी यहां होमगार्ड व बिहार पुलिस के जवान पूरी करते हैं। शहरी इलाके के मुख्य चौराहों पर यातायात की व्यवस्था संभालने के लिए होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। अगर जाम की स्थिति विकट बन गई तो पुलिस के जवान भी यातायात संचालन के लिए लगा दिए जाते हैं, लेकिन ट्रैफिक नियमों और उसे संभालने के प्रशिक्षण के अभाव में इन जवानों के पास लाठी ही एक सहारा रहता है। लाठी भांज कर ये यातायात का पहिया आगे सरकाते रहते हैं।

कहते हैं लोग

शहर में यातायात व्यवस्था को लेकर अधिवक्ता राजकिशोर प्रसाद कहते हैं कि यहां की यातायात पूरी तरह से लोगों की मर्जी के हिसाब से तय होती है। इसपर किसी भी अधिकारी का नियंत्रण नहीं है। राजकुमार सिंह कहते हैं कि यहां यातायात की व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। मनोहर कुमार कहते हैं कि यहां की यातायात व्यवस्था का मतलब पूरी तरह मनमर्जी है। इसी प्रकार मोहन राय तथा ओमप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि यातायात सुविधा नाम की कोई भी व्यवस्था ही यहां नहीं है। ऐसे में इस सुविधा के बारे में पूछना ही बेकार है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.