उर्वरक में चल रहा मिलावट का खेल, रखें सावधानी
कटेया के किसान राजेंद्र पाण्डेय उस दिन को कोस रहे हैं जब उन्होंने बिना देखे परखे खाद खरीद लिया था।
गोपालगंज। कटेया के किसान राजेंद्र पाण्डेय उस दिन को कोस रहे हैं जब उन्होंने बिना देखे परखे खाद खरीद लिया था। तब उनकी फसल उम्मीद से काफी कम हुई, तब उनकी आंखें खुली। राजेंद्र पाण्डेय बताते हैं कि धान में डालने के लिए यूरिया खरीदा था। उस समय यूरिया की काफी किल्लत थी। जिसे देखते हुए उन्होंने बिना देखे परखे यूरिया खरीद लिया। खेत में डालने के कुछ दिन बाद भी जब पौधे के विकास रूका रहा तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि खेत में डाली गयी यूरिया मिलावटी थी। हालांकि बाद में उन्होंने फिर से यूरिया खरीद कर डाला। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। वैसे राजेंद्र पाण्डेय को ही मिलावटी यूरिया से उपज में नुकसान नहीं उठाना पड़ा है। खेती के हर सिजन में मिलावटी उर्वरकों का खेल शुरू हो जाने से इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है। जिले में उर्वरक में मिलावट का खेल अब भी जारी है। खासकर खेती के पिक सीजन में उर्वरकों की किल्लत के बीच मिलावट करने वाले अपना खेल शुरू कर देते हैं। किसान बताते हैं कि जब भी खेतों में खाद डालने का समय आता है, तब उर्वरक बाजार से गायब हो जाती है। ऐसे में किसान मजबूरी में जहां भी उर्वरक मिलता है, वहां से खरीद लेते हैं। मिलावट का खेल खास कर पिक सीजन में ही चलता है और जब तक उर्वरकों पर नजर रखने के लिए गठित जिला से लेकर प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समितियां सक्रिय होती हैं, तब तक खाद में मिलावट का कारोबार करने वाले किसानों का काफी नुकसान कर चुके होते हैं। कितनी है उर्वरकों की मांग
गोपालगंज : अब रबी का सीजन शुरू हो गया है। किसान धान की कटाई के बाद अब गेहूं की बुआई कर रहे हैं। इस सीजन में कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार ही 6701 मीट्रिक टन डीएपी एमएपी, 2998 मीट्रिक टन एनपीके मिक्सचर, 17120 मीट्रिक टन यूरिया, 3852 मीट्रिक टन एसएसपी तथा 1707 मीट्रिक टन एमओपी की जरुरत है। किसान बताते हैं कि हर सीजन में कृषि विभाग उर्वरकों के उपयोग का अनुमान लगाकर उसकी आपूर्ति करने का दावा करता है। लेकिन पिक सीजन में उर्वरक जरूरत के अनुरुप उपलब्ध नहीं होता। इसकी की उर्वरक विक्रेता खाद में मिलावट कर पूरी कर देते हैं। जिसका बाद में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे कर सकते हैं उर्वरक में मिलावट की जांच
1.यूरिया - यूरिया को पानी में घोलने पर घोल ठंडा होता है। यूरिया के दाने को तावा पर गर्म करने पर पहले पिघलता है, फिर सारा का सारा उड़ता है। अगर यूरिया पिघले नहीं या उड़े नहीं तो समझें इसमें मिलावट है।
2. डीएपी - एक ग्राम डीएपी को कांच के साफ गिलास में लेकर उसमें 5 मिली डिस्टिल्ड वाटर मिलाएं। जब उर्वरक घुल जाए तो उसे फिल्टर पेपर से छान लें। छाने गए घोल में एक मिली सिल्वर नाइट्रेट डालें। इससे पीले रंग का अवशेष बनता है। मिलावटी उर्वरक में पीला पदार्थ नहीं बनता है।
3. पोटाश - 5 ग्राम पोटाश लें और उसमें 50 मिली डिस्टिल्ड वाटर मिलाएं। अधिकांश उर्वरक घुल जाता है। यदि कुछ पदार्थ ही पानी की सतह पर तैरे तो उर्वरक शुद्ध है। उर्वरक में मिलावट होने पर अधिकांश अघुलनशील पदार्थ गिलास की तली में बैठ जाएगा।
4. ¨सगल सुपर फास्फेट- एक ग्राम फास्फेट में 5 मिली डिस्टिल्ड वाटर मिलाएं तथा फिल्टर पेपर से छान लें। छाने हुए घोल में पांच बूंद सिल्वर नाइट्रेट डालने पर पीला अवशेष बनता है जो नाइट्रिक एसिड डालने पर घुल जाता है। अगर नहीं घुले तो समझे इसमें मिलावट है।
------------------------
उर्वरकों में मिलावट पर नजर रखने के लिए जिला से लेकर प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समितियां गठित है। इसके साथ ही साथ समय समय पर उर्वरक दुकानों की जांच पड़ताल भी की जाती है। अगर कहीं भी उर्वरक में मिलावट का अंदेशा हो तो किसान इसकी शिकायत जरूर करें। उर्वरक में मिलावट करने वालों कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सुरेश प्रसाद
जिला कृषि पदाधिकारी