96.85 लाख खर्च, एक बूंद भी नहीं टपका पानी
संवाद सहयोगी हथुआ (गोपालगंज) यह कहानी उस पेयजल योजना की है जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्र
संवाद सहयोगी, हथुआ (गोपालगंज) : यह कहानी उस पेयजल योजना की है जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उद्धाटन तत्कालीन मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था। शिलान्यास के समय जो लागत निर्धारित की गई थी वह काम पूरा होते होते तीन गुना तब बढ़ गई। इस योजना का उद्धाटन हुए भी नौ साल बीत गए। लेकिन इस योजना से अब तक एक बूंद पानी भी लोगों को नसीब नहीं हुआ। ऐसे में हर गर्मी में उचकागांव प्रखंड के लाइन बाजार तथा हथुआ प्रखंड के बड़कागांव बाजार के लोगों को पेयजल के संकट से जूझना पड़ता है। इस बार भी गर्मी बढ़ने के साथ ही दोनों बाजारों में पेजयल का संकट गहराता जा रहा है। 96.85 लाख रुपये की पेयजल योजना के बावजूद यहां के लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। इनकी प्यास चापाकल के पानी से बुझ रही है।
वर्ष 2006 लाइन बाजार तथा बड़कागांव बाजार के लोगों को पेयजल मिल सके इसके लिए यहां ग्रामीण पेयजल योजना को धरातल पर उतारने की पहल सरकार ने किया था। 31 अक्टूबर 2006 को जिले के दौरे पर आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहर के ¨मज स्टेडियम से लाइन बाजार तथा बड़कागांव बाजार के बीच बनने वाली इस योजना का शिलान्यास किया। शिलान्यास के बाद यहां पंप हाउस बनाए गए, छोटी टंकी भी बनाई गई और पाइप बिछाकर पेयजल की सप्लाई शुरू कर दी गई। लेकिन इसी बीच इस योजनाओं को और विस्तार दे दिया गया। छोटी टंकी की जगह जलमीनार बनाया गया। काम पूरा होने के बाद 27 फरवरी 2009 को तत्कालीन मंत्री अश्विनी चौबे ने इस योजना का उद्घाटन किया। लेकिन उद्धाटन के बाद लोगों को एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ। अब जलमीनार के पास कर्मियों के लिए बनाए गए कमरे पर अवैध रूप से कब्जा हो गया है। पेयजल की योजना धरातल पर उतरने के बाद भी बड़कागांव तथा लाइन बाजार के लोगों को पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। बाजार में आने वाले लोगों की प्यास दुकानों से खरीद कर बोतलबंद पानी से बुझती है या होटलों व दुकानों के सामने लगाए गए निजी चापाकल का पानी पीकर लोग अपना गला तर करते हैं। इनसेट
तीन गुना बढ़ी लागत, फिर भी नहीं मिला लाभ
हथुआ : लाइन बाजार तथा बड़कागांव में ग्रामीण पेयजल योजना की लागत शिलान्यास से उद्घाटन तक पहुंचने के बीच तीन गुना बढ़ गई। मुख्यमंत्री ने जब इस योजना का शिलान्यास किया था तब इस योजना की लागत 37.20 लाख निर्धारित की गई। बाद इस योजना को विस्तार कर दिया गया। जिससे इसकी लागत 96.85 लाख रुपया हो गई। तीन गुना लागत बढ़ने तथा योजना के धरातल पर उतरने के बाद भी पेयजल की समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है। इनसेट
क्या कहते हैं लोग
फोटो फाइल : 23 जीपीएल 3
कैप्शन : लालबाबू यादव
लाखों रुपया खर्च हो गए। लेकिन लोगों को सप्लाई का पानी मिल रहा है कि नहीं इसके कोई देखने वाला नहीं है। जलमीनार होने के बाद भी लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है।
लालबाबू यादव
इनसेट
फोटो फाइल : 23 जीपीएल 4
कैप्शन : रामाकांत पटेल
पेयजल की योजना के नाम पर लाखों रुपया खर्च किए जाने के बाद भी यहां के लोगों कोई लाभ नहीं हुआ। जलमीनार से सप्लाई का पानी नहीं मिल रहा है। चापाकल के पानी से लोगों की प्यास बुझती है।
रामाकांत पटेल
इनसेट
फोटो फाइल : 23 जीपीएल 5
कैप्शन : जयप्रकाश तिवारी
जलमीनार बनने के बाद उम्मीद थी कि अब शुद्ध पेयजल मिलेगा। लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी इस योजना से एक बूंद पानी नहीं टपका।
जयप्रकाश तिवारी
इनसेट
फोटो फाइल : 23 जीपीएल 6
कैप्शन : अफरोज आलम
ग्रामीण पेयजल योजना से लोगों की पेयजल की समस्या दूर नहीं हुई। गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या बढ़ने लगती है। पानी के लिए लोगों को इधर उधर भटकना पड़ता है।
अफरोज आलम