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कुटीर उद्योग से जुड़ महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, कैमूर में समूह बनाकर कमाई का जरिया खोज निकाला

रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कभी घर की दहलीज नहीं लांघने वाली महिलाएं अब स्वरोजगार की राह अख्तियार कर रही हैं। अपनी मेहनत की बदौलत आधी आबादी परिवार के अन्य सदस्यों का भरण पोषण भी कर रही हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 01:36 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 01:36 PM (IST)
कुटीर उद्योग से जुड़ महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, कैमूर में समूह बनाकर कमाई का जरिया खोज निकाला
कैमूर में झाड़ू बनाने का काम करतीं महिलाएं। जागरण।

संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कभी घर की दहलीज नहीं लांघने वाली महिलाएं अब स्वरोजगार की राह अख्तियार कर रही हैं। अपनी मेहनत की बदौलत आधी आबादी परिवार के अन्य सदस्यों का भरण पोषण भी कर रही हैं। इनके कार्य व हौसलों को लोग सलाम कर रहें हैं। प्रखंड क्षेत्र में जीविका के तहत स्वरोजगार के कई व्यवसाय शुरू किए गए हैं। जिसमें आधी आबादी को ही इसका मुख्य श्रोत बनाया गया है, ताकि उन्हें घर बैठे रोजगार उपलब्ध हो। सिलाई, बुनाई का मामला हो या अगरबत्ती उद्योग का इन सभी में महिलाएं पारंगत हो रही हैं। जिससे अपना खर्च तो निकल ही जा रहा है, बच्चों की शिक्षा में उनका अब अहम योगदान होने लगा है।

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वे अपने हुनर की बदौलत जिंदगी की गाड़ी चल रही हैं। यही महिलाएं कभी घर का चौखट नहीं लांघती थी। लेकिन वे अब झाड़ू उद्योग में भी निपुण हो चुकी हैं। अन्य कामों में हिस्सा बंटाने से पहले कुटीर उद्योग के रुप में संचालित झाड़ू उद्योग में मेहनत कर अपनी जीविका का उपार्जन कर ले रही हैं। कार्य प्रणाली इनकी ऐसी हो गई है कि हाथ मशीन जैसा काम करने लगा है।सिलाई बुनाई के बाद समय निकाल कर चार घंटे झाड़ू के निर्माण में समय देकर अच्छी खासी आमदनी कर रही हैं। कोई मशीन पर झाड़ू का स्टीच कर रही हैं तो कोई हांथ से इसकी टैपिंग कर रही है। इस धंधे में इतनी पारंगत हो गई हैं कि उनका हांथ बिल्कुल स्प्रिंग के जैसा चलता है। इस कार्य में करीब चार दर्जन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

पूरे दिन की मेहनत से इनके पूरा परिवार का खर्च निकल जाता है। न तो इन्हें धूप का प्रकोप और न ही ठंड का डर। वे फार्म हाउस में एक साथ बैठकर इस कार्य को निपटाती हैं। इसके लिए इनको सुपरवाइजर के रुप में मौजूद अनिल कुमार गुप्ता व बिहारी नोनिया द्वारा ट्रेनिंग भी दी गई है। जो जीविका से जुड़े हुए हैं। इनके इस कार्य को देखते ही बनता है। इस संबंध में जीविका के समन्वयक दीपक कुमार ने बताया कि रामगढ़ में इस समूह से करीब एक हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर स्वावलंबी की राह अख्तियार की हैं। कई उद्योग धंधे समूह बनाकर वे स्थापित की हैं। जिसका उन्हें अच्छा लाभ भी घर बैठे होने लगा है।


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