खुशहाल जिंदगी के लिए वसुंधरा की गोद में भरेंगे हरियाली
-पर्यावरण की रक्षा के साथ ही जनमानस में जागरुकता लाने के लिए दिलाएंगे शपथ पौधारोपण के साथ ही देखरेख भी करेंगे -----------
विनय कुमार पांडेय, गया
विश्व पर्यावरण दिवस पर समाज के तमाम प्रबुद्धजन पौधारोपण के साथ ही उनकी सेवा का संकल्प लेते हैं। कई लोगों को अपने संकल्प याद रहते हैं, कुछ भूल जाते हैं। पांच जून को हर स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल, सरकारी विभाग द्वारा जगह-जगह पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। एक दिन में लाखों पौधे लगाए जाते हैं। कइयों को पर्यावरण का मतलब सिर्फ पौधा लगाने तक ही सीमित दिखाई पड़ता है, जबकि इसका दायरा बहुत व्यापक है। जल, जंगल, जमीन, नदी, पहाड़, खेत-खलिहान, हवा, पानी, आकाश व अन्य सभी पर्यावरण हैं। दैनिक जागरण ने इस बार के पर्यावरण दिवस पर कुछ पर्यावरण प्रेमियों से उनके संकल्पों को साझा किया।
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स्टोरी वन, फोटो: 201
प्रमुख तालाबों को मूल स्वरूप में लाने का करेंगे प्रयास : बृजनंदन पाठक
शहर की जीवनदायिनी फल्गु नदी को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए गुरुद्वारा रोड निवासी बृजनंदन पाठक वर्षो से लड़ाई लड़ रहे हैं। इनकी पीड़ा नदी में गिरते बड़े-बड़े नाले, अतिक्रमण है। फल्गु को बचाने के लिए साल 2011 में सीएम को पहला पत्र लिखा। सीएम की पहल पर आई जांच टीम ने फल्गु के अस्तित्व पर संकट पाकर अपनी रिपोर्ट तो दी लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। उसी साल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। 2015 में न्यायालय का निर्देश जनहित में आया पर मौजूदा व्यवस्था ने उसे पूरी तरह से अमलीजामा पहनने से रोक रखा है। न्यायालय में आज भी अवमानना चल रहा है। वे दुखी हैं कि समय के साथ कई नए नालों को फल्गु में गिराया जा रहा है। दंडीबाग के पास कॉलोनी का नाला नदी में गिर रहा है। मानपुर पटवा टोली की रंगीन पानी से फल्गु त्रस्त है।
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लक्ष्य : बृजनंदन पाठक ने कहा कि इस बार के पर्यावरण वर्ष में वे तालाबों के जीर्णोद्धार पर ध्यान देंगे। सिमटते बिसार, रामसागर व अन्य तालाबों को पानी से लबालब करने की कोशिश करेंगे। तालाबों के किनारे 200 से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।
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संकल्प : प्रकृति ने जिस रूप में पृथ्वी को गढ़ा है उसी अनुरूप में लाने का संकल्प। नदी-तालाब, पहाड़, झरना, मैदान, जंगल सभी अपने मूर्त रूप में रहें।
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स्टोरी टू, फोटो: 202
अलग-अलग पहाड़ों पर घूमकर लगाएंगे पांच हजार पौधे : सिकंदर
टिल्हा धर्मशाला निवासी 55 वर्षीय दीपक कुमार उर्फ सिकंदर पहाड़ों पर घूम-घूमकर पौधे लगाते हैं। न सिर्फ पौधे लगाते हैं बल्कि पेड़ बनने तक उनकी देखभाल भी करते हैं। पिछले 38 वर्षो से इस काम में लगे हैं। पेड-पौधों से प्रेम ही है कि करीब दो लाख से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इनकी जेब में नीम, अमलतास, सागवान के बीज हमेशा रहते हैं। जब भी मौका मिलता वहीं गड्ढ़ा खोदकर बीज लगाने से नहीं चूकते। सिकंदर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। बावजूद प्रकृति को हरा भरा रहने का इनका सपना साकार हो रहा है।
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लक्ष्य : रामसागर तालाब, रामशिला पहाड़ी, बड़ाबर पहाड़ी व अन्य तलहटी वाले इलाकों में कम से कम पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। साथ ही इन पौधों की सुरक्षा के लिए भी योजना बनाई है।
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संकल्प : प्राकृतिक धरोहर खासकर वन संपदा को बचाना। जल जीवन हरियाली को हर शहर, गांव-कस्बों में उतारने का भरसक प्रयास करेंगे।
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स्टोरी थ्री, फोटो: 203 पंछियों की चहचहाहट सुनना है पसंद, सकोरा बना देते हैं दाना-पानी : रंजन
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएंगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएंगे।
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएंगे भूखे-प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से..। हिदी कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन' रचित यह कविता वर्ड मैन के नाम से मशहूर युवा रंजन कुमार को पसंद है। वह स्वच्छ और सुंदर पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों की तरह ही खुले में उड़ने वाले पंछियों को भी जरूरी मानते हैं। ये विषैले कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर रखने में सहायक हैं। टीन के 16 सकोरा पंछियों को दाना-पानी देने के लिए अब तक बनाई है। इससे पहले वह पेड़ों पर टांगने के लिए 51 घड़ों का सकोरा लटकाए थे। पहाड़ी क्षेत्र, ऊंचे स्थान पर सीमेंट के 22 सकोरे बनाए। इनमें रोज पानी डालते हैं ताकि प्यासे परिदे प्यास बुझा सकें। पंछियों का दाना-पानी देने का यह सिलसिला तीन वर्षो से जारी है।
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लक्ष्य: टीन से निर्मित 200 सकोरे बनाने का लक्ष्य रखा है। वह पंछियों को दाना और पानी देने के लिए अधिकाधिक लोगों को जागरूक करेंगे।
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संकल्प : घर व इसके आस-पड़ोस में पंछियों की चहचहाहट बरकरार रखना। इसके लिए लोगों को जागरूक करना। विलुप्त होते गौरैया पंछी को बचाने के लिए जागरुकता अभियान को और तेज करेंगे।
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स्टोरी फोर, फोटो: 204
..तो गांव में ही लगा दिया
वट वृक्ष : चंदन लाल
बोधगया रोड में केंदुआ गांव की बात है। इस बार वट सावित्री पूजा पर गांव की महिलाओं को दूर जाकर पूजा करते हुए देखा। गांव के युवा चंदन लाल इससे आहत हुए। उन्होंने अपने गांव के महादेव स्थान के समीप एक बरगद का पौधा लगा दिया। उसकी देखभाल कर रहे हैं। चंदन के साथ विक्रम मेहता ने पौधारोपण में साथ दिया। फल्गु नदी के किनारे ये हरियाली लाना चाहते हैं। इसके लिए इन्होंने गांव के युवाओं की टोली तैयार की है। पौधारोपण के साथ ही पेड़ बनने तक उनकी सुरक्षा करनी है।
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लक्ष्य : जल जीवन हरियाली है लक्ष्य हमारा, हरा-भरा हो नदी किनारा। इसी नारे को जीवंत रखकर वह इस पर्यावरण वर्ष में एक हजार पौधे लगाएंगे।
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संकल्प: अपने केंदुआ गांव के नदी किनारे को शीशम, बरगद, सागवान जैसे पौधे लगाएंगे। इसके साथ ही लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करेंगे।