मौसम ने अचानक ली करवट तो खिल गए किसानों के चेहरे, कुहासे और ठंड से गर्म कपड़ों में सिमटे लोग
मौसम में अचानक हुए बदलाव ने ठंडक ला दी है। एक-दो दिन पहले तक रात में भी गर्मी का अहसास कर रहे लोगों को फिर से गर्म कपड़े का सहारा लेना पड़ रहा है। इस मौसम को किसानी के लिए अनुकूल माना जाता है।
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आम तौर पर माना जाता है कि मकर संक्रांति की सुबह से जाड़ा कम होना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे गर्मी आने लगती है। इस बार मकर संक्रांति से पहले ही गर्मी का अहसास होने लगा था। लेकिन एक दिन पहले मौसम ने ऐसी करवट ली कि लोग भी हैरान रह गए। अचानक ठंड बढ़ गई। कुहासा छा गया। इस कारण लोग घरों में दुबके रहे। मकर संक्रांति की सुबह पांच बजे जिले का तापमान करीब 7 डिग्री था। सुबह दस बजे यह 14 डिग्री तक पहुंचा। मौसम विभाग के पूर्वानुमान बताते हैं कि रात में फिर से पारा काफी नीचे चला जाएगा। इसके पांच डिग्री तक पहुंचाने का अनुमान है।
मकर संक्रांति पर अलसुबह से ही नदी-तालाब व घरों में स्नान शुरू हो जाता है। लेकिन गुरुवार की सुबह ठंड ने लोगों के कदम रोक दिए। काफी ठंड थी। कुहासा काफी घना छाया हुआ था। आलम यह था कि खुले क्षेत्रों में सौ मीटर भी दृश्यता नहीं थी। सड़क पर वाहन चलाना मुश्किल था। सामने कुछ भी नहीं दिख रहा। दाउद खान का किला तो सुबह नौ बजे तक पास से भी नहीं दिख रहा था। कड़ाके की ठंड में घना कोहरा के बीच लोग बचते बचाते हुए यात्रा करते दिखे। हर कोई अपना काम ठिठुरते हुए करता दिखा।
गर्मी आने की आशंका से बढ़ी थी चिंता
मौसम में यह परिवर्तन अचानक मंगलवार से दिखने लगा है, जबकि शनिवार व रविवार को इतनी गर्मी थी कि लोगों ने स्वेटर उतार दिए थे। चिंता इस बात की थी कि जनवरी के पूर्वार्ध में ही फगुनहट बहने लगी है, जो शुभ संकेत मौसम के संदर्भ में नहीं माना जा रहा था। इस कारण चिंता होने लगी थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। अचानक से सोमवार से पुनः ठंड बढ़ने लगी और क्रमशः बुधवार और गुरुवार को काफी अधिक ठंड होने से काफी परेशानी बढ़ गई है। मकर संक्रांति है और लोग ठंढ से ठिठुर रहे हैं।