दिन में निकल रही तेज धूप, सुबह-शाम ठंड के बीच सिहर रहे लोग
गया। गया जिले में ठंड का असर जारी है। मकर संक्रांति के बाद भी गया की सुबह और शाम ठंडी
गया। गया जिले में ठंड का असर जारी है। मकर संक्रांति के बाद भी गया की सुबह और शाम ठंडी रह रही। हालांकि दिन में 10 बजे के बाद गुनगुनी धूप निकलती है। दोपहर में सूर्य की गर्मी मौसम में गर्माहट का अहसास कराती है, लेकिन शाम पांच बजे तक वातावरण में ठंडक आ जाती है। इस बीच रह-रहकर बहने वाली सर्द हवा ठंड में इजाफा करती है। शुक्रवार को गया जिले का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। जबकि न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। शाम आते-आते आसमान में हल्के बादल छा गए। मौसम विभाग का पूर्वानुमान अगले 48 घंटे के अंदर हल्की बूंदाबांदी की भी आशंका जता रहा है। जिले के डुमरिया, इमामगंज, बांके बाजार प्रखंड क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी की आशंका जताई गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ. जाकिर हल्की बूंदाबांदी की संभावना जता रहे हैं।
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बदलते मौसम को न लें हल्के में, बीमार कर सकता है: डॉ. शैलेष
दिन में धूप रहने से कई बार स्वेटर-जैकेट व टोपी उतार देने की इच्छा होती है। जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सक डॉ. शैलेष कुमार आम लोगों से इस बदलते मौसम को लेकर सतर्क रहने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, जब भी मौसम बदलाव की ओर होता है, कई बार लोग बीमार पड़ जाते हैं। इससे सर्दी-जुकाम होने का अंदेशा रहता है। वह सेहत के प्रति सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। -----
ग्रॉफिक्स:
तारीख-तापमान अधि./न्यू.
18 जनवरी-26/12
19 जनवरी-21/10
20 जनवरी-20/8
21 जनवरी-19/8
22 जनवरी-22/10
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पैकेजिंग
जमीन का अधिक फैलाव व सिमटता जलस्रोत मौसम को कर रहा प्रभावित : प्रो. राणा प्रताप
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मगध विश्वविद्यालय, गया में भूगोल विषय के पूर्व विभागाध्यक्ष सह नागी (नेशनल एसोसिएशन ऑफ जिओग्राफर्स इंडिया) के अध्यक्ष प्रो. राणा प्रताप गया जिले का मौसम व जलवायु को बिल्कुल भिन्न बतलाते हैं। वह कहते हैं कि भूगोल में इसे कंटीमेंटालिटी (जमीन का अधिक फैलाव) कहा जाता है। गया में जमीन का फैलाव अधिक है। छोटी-छोटी पहाड़ियां और पठार हैं। इन पहाड़ियों पर अपेक्षाकृत पेड़-पौधे नहीं हैं। साथ ही गया की धरती पर जलस्रोत भी धीरे-धीरे घटते जा रहे हैं। इन्हीं जलवायु विशेषता के चलते यहां गर्मी भी अधिक पड़ती है और ठंडी भी अन्य जिलों की तुलना में अधिक पड़ती है। वह कहते हैं जिन इलाकों में नदी-तालाब, आहर-पईन या दूसरे तरह के जलस्रोत अधिक रहते हैं वहां पानी की उपलब्धता के कारण वाष्प बनता है। इससे वहां गर्मी कम रहती है। लेकिन गया में स्थिति बिल्कुल उलट है। यहां कोई वैसी नदी नहीं है। जहां सालों भर पानी का बहाव होता है। इन्हीं स्थानीय स्थितियों के कारण गया जिले की धरती तुरंत गर्म हो जाती है। दिन में तापमान बढ़ता है। लेकिन रात ढलते ही तापमान नीचे भी गिर जाता है। प्रो. राणा प्रताप कहते हैं कि गया देश के प्रमुख गर्म स्थानों में गिना जाता है। इसका प्रमुख कारण यहां की जलवायु है। कर्क रेखा गल्फ की खाड़ी से गुजरती है। इसके उत्तर में गया है। कर्क रेखा के आसपास का इलाका वैसे भी गर्म होता है। लेकिन प्रो. राणा कर्क रेखा से ज्यादा जमीन के अधिक फैलाव को गया के लिए अलग मौसम बनाने का प्रमुख कारण मानते हैं। वह तार्किक तरीके से कहते हैं कि कर्क रेखा देश के अन्य कई जिलों से भी होकर गुजरती है, लेकिन वहां और गया के मौसम में बहुत बड़ा अंतर रहता है। वह राज्य सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान की सराहना करते हैं। वे इसे अच्छी तरह से जमीन पर उतारने पर जोर देते हैं।