मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड की सूची में शामिल हो त्रिपिटक ग्रंथ
श्रीलंका में पाली भाषा में ओला के पत्तों पर लिखित त्रिपिटक धर्मग्रंथ को यूनेस्को मे।
गया। श्रीलंका में पाली भाषा में ओला के पत्तों पर लिखित त्रिपिटक धर्मग्रंथ को यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड की सूची में शामिल करने की मांग की गई है।
त्रिपिटक में भगवान बुद्ध द्वारा लगभग 45 वर्षो तक दिए गए उपदेशों का संग्रह है। पहली बार इसे श्रीलंका में लिपिबद्ध किया गया था। उसके बाद इसका विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया। यह बातें शनिवार को महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया की बोधगया शाखा द्वारा आयोजित त्रिपिटक सप्ताह के कार्यक्रम में बौद्ध मोनास्ट्री के भिक्षुओं ने कहीं। कार्यक्रम में भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त ऑस्टिन फर्नाडो, सोसाइटी के महासचिव भंते पी. सिवली थेरो, सोसाइटी प्रभारी भंते सद्धा तिस्स थेरो, बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे, किरण लामा सहित बौद्ध भिक्षु व श्रीलंकाई बौद्ध श्रद्धालु शामिल थे। इस अवसर पर अनागारिक धम्मपाल सभागार में त्रिपिटक धर्मग्रंथ को लेकर विशेष पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद भिक्षुओं को संघदान (भोजनदान) दिया गया। सोसाइटी के भंते राहुल ने बताया कि त्रिपिटक सप्ताह श्रीलंका में सात दिनों तक मनाया जाएगा। भारत के बोधगया, सारनाथ, सांची और दिल्ली सहित अन्य जगहों पर भी ऐसा कार्यक्रम किया जाएगा, जिसकी शुरुआत बोधगया से की गई है। इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यूनेस्को को त्रिपिटक ग्रंथ को लेकर समर्थन दर्शाना है। इसके लिए भारत सरकार का भी समर्थन प्राप्त है। वर्ष 2007 में भारतीय धर्मग्रंथ ऋगवेद को उक्त सूची में शामिल किया गया था।