पांच साल पहले आज ही धमाकों से दहली थी बुद्धभूमि
पांच साल पहले 7 जुलाई को ही बुद्धभूमि बम के धमाकों से दहल गई थी।
गया। पांच साल पहले 7 जुलाई को ही बुद्धभूमि बम के धमाकों से दहल गई थी। लोगों के जेहन में आज भी वह खौफनाक दृश्य है।
7 जुलाई 2013 की सुबह सामान्य दिनों की तरह थी। प्रवेश द्वार खुलते ही बौद्ध भिक्षु, श्रद्धालु व मार्निग वॉक करने वाले स्थानीय लोग मंदिर में प्रवेश करने लगे। बाजार में फुटपाथी दुकानदार अपनी दुकान खोलने की तैयारी में थे। तभी विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में एक जोरदार आवाज हुई। लोग चौकन्ने हो गए। उसके बाद एक-एक कर तीन धमाके हुए। मंदिर में रहे बौद्ध भिक्षु व श्रद्धालुओं सहित मार्निग वॉक करने वालों में दहशत फैल गई। मंदिर के बाहर आंतकी हमला की बातें फैल गई। तभी मंदिर के अंदर से घायल दो बौद्ध श्रद्धालु को लेकर लोग बाहर आते दिखे तो मामला साफ हो गया कि मंदिर में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ है। उसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष टीएन तिवारी, बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे मंदिर में गए। सुरक्षाकर्मियों ने बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश रोक दिया।
केवल महाबोधि मंदिर ही नहीं, तेरगर मोनास्ट्री, सुजाता बाइपास, 80 फीट विशाल बुद्ध प्रतिमा और बैजुबिगहा मोड़ के समीप भी बम विस्फोट हुआ था। उस खौफनाक मंजर को याद कर आज भी स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु सिहर उठते हैं, जब एक-एक कर कई जगहों पर धमाका हुआ था। आतंकियों ने शांति की भूमि पर नापाक कोशिश की थी, पर उनका मंसूबा पूरा नहीं हुआ। आंशिक तौर पर महाबोधि मंदिर परिसर में कुछ क्षति हुई और दो बौद्ध भिक्षु घायल हुए थे, लेकिन सीरियल बम धमाके का प्रभाव आज भी 58 दुकानदार व उनके परिजन झेलने को विवश हैं। सूबे में पहली आतंकी दस्तक ने विश्व के बौद्ध समुदायों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी थी। जिसके कारण देश और प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी।
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पांच आतंकियों को एनआईए ने दिलाई सजा
बुद्धभूमि को अशांत करने में संलिप्त पांच आतंकियों को एनआईए के कोर्ट ने घटना के चार साल 10 माह 18 दिन बाद यानी गत 31 मई को आजीवन कारावास और दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड दिया। घटना के सीसीटीवी फुटेज के अनुसार महज 19 मिनट में एक आतंकी ने छद्म रूप से बौद्ध भिक्षु का रूप धारण कर बम प्लांट किया था।
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नहीं हुई सीआईएसएफ की तैनाती
घटना के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बोधगया पहुंचे तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंदिर की सुरक्षा में सीआईएसएफ की तैनाती की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार को सिफारिश करनी होगी। घोषणा के अगले ही दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदिर की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले करने की सिफारिश कर दी। सीआईएसएफ के वरीय अधिकारी बोधगया आकर मंदिर का निरीक्षण भी किया था, लेकिन पांच साल बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ।
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मंदिर की बढ़ाई गई है सुरक्षा
घटना के बाद मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मंदिर परिसर में कई वाच टावर बनवाए गए, सीसीटीवी कैमरों की संख्या और निगरानी रूम का निर्माण कराया गया, डोर फेम मेटल डिटेक्टर, बैगेज स्नैकर लगाए गए हैं। सघन जांच के पश्चात की मंदिर परिसर में देशी-विदेशी पर्यटकों को प्रवेश दिया जाता है। जनवरी की घटना के बाद लाल पैडस्टल पर भी सुरक्षा जांच उपकरण लगाए गए हैं।
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घटना दोहराने की फिर रची गई साजिश
7 जुलाई 2013 की घटना की पुनरावृत्ति की कोशिश आतंकियों द्वारा इस साल गत 19 जनवरी को फिर की गई। उस वक्त तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाईलामा बोधगया प्रवास पर थे और उसी दिन सूबे के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पहली बार बोधगया आगमन हुआ था। दलाईलामा के प्रवास और राज्यपाल के आगमन को लेकर अतिरिक्त अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी। इसके बावजूद कालचक्र मैदान, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया शाखा बोधगया के प्रवेश द्वार, मंदिर के लाल पैडस्टल क्षेत्र स्थित एक द्वार के समीप आतंकियों ने बम प्लांट कर दिया। इसे जांच के बाद डिफ्यूज किया गया था।
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विस्थापित दुकानदारों को न्याय की आस
बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले के पांच दोषियों को सजा मिल गई, लेकिन मंदिर सुरक्षा के नाम पर लाल पैडस्टल क्षेत्र से विस्थापित किए गए 58 दुकानदार आज भी न्याय की आस लगाए हैं। उन्हें विस्थापन के बाद सरकार के आदेश पर भी नोड वन में दुकान मुहैया नहीं कराई गई। बाद में सरकार द्वारा घोषित मार्केट कांपलेक्स का निर्माण भी नहीं हो सका। विस्थापित दुकानदार हासिमूल हक, राकेश कुमार पप्पू व सुरेश सिंह कहते हैं सरकार व प्रशासन ने हम दुकानदारों का दुकान तोड़ दिया था। अभी भी पुनर्वास की आस में हैं।