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कभी ले लेते थे जान, आज बन गए हैं जान के रखवाले, प्रकृति प्रेम ने बदल दिया बहेलियों का जीवन

पशु-पक्षियों का शिकार कर जीवन-यापन करने वाले बहेलिया समाज के लोग यहां गृहस्‍थ बन चुके हैं। इतना ही नहीं ये पशु-पक्षियों के जीवनरक्षक बन गए हैं। इनके लगाए बगीचे आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 11:45 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 09:51 AM (IST)
कभी ले लेते थे जान, आज बन गए हैं जान के रखवाले, प्रकृति प्रेम ने बदल दिया बहेलियों का जीवन
अपने बगीचे के पास खड़ा बहेलिया समाज का एक बुजुर्ग। जागरण

जेएनएन, गया। कहानी उस समाज की है जो कभी पक्षियों का शिकार करने थे। उनकी जान ले लेते थे। लेकिन आज वे पक्षियों के संरक्षक बन गए हैं। बात हो रही है बहेलिया समाज की। हृदय में प्रकृति प्रेम बढ़ा तो ये पक्षियों के प्रति भी अनुराग बढ़ गया। ऐसा परैया के सर्वोदय नगर में चार दशकों से दिख रहा है। अब तो यहां का बगीचा आकर्षण का केंद्र बन गया है। पर्यटक भी इसे देखने पहुंचते हैं।

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बहेलिया समाज के बुजुर्ग तिलक राम बताते  है कि उनके पूर्वज पशु-पक्षियों का शिकार कर अपना जीवनयापन करते थे। उन्हें भी यह हुनर विरासत में मिली। लेकिन एक समय आया जब जीवन ने करवट ली। खानाबदोश  जिंदगी जीने वाले बहेलिया सिर्फ स्थिर गृहस्थ ही नही बल्कि एक उन्नत किसान में बदल गए। उनके समाज ने करीब 80 एकड़ जमीन पर फलदार वृक्षों का बगीचा लगा दिया है। इसमें आम, अमरूद, कटहल, बड़हर, लीची, शरीफा, बैर, जामुन जैसे फलों के वृक्ष हैं। इसके बाद पशु-‍पक्षियों के प्रति भी इनके मन में स्‍नेह बढ़ा। बागवानी से जुड़े बहेलिया अब पक्षियों के महत्व को समझ गए है। इसलिए अब वो उनको संरक्षण देते हैं। तिलक राम ने बताया कि पक्षी फलदार पेड़ों में लगें कीटों को खाकर उनकी रक्षा करते है। जिनसे फूल फल सुरक्षित रहते है। ऐसे में पक्षी  उनकी बागवानी को सुदृढ बना रहे है। प्रतिवर्ष फलों से अच्‍छी आमदनी होती है। वे अब पशुपालन व मुर्गी पालन भी करते है। मुर्गी दीमक को खाने का काम करती है। जिससे पेड़ों की जड़ से खोखला होने से बचाया जा सकता है।

   मंझियावां पंचायत के सर्वोदय नगर की हरियाली व प्राकृतिक सौंदर्य से स्थानीय लोग हर्षित रहते है। मोरहर तट स्थित विशाल बगीचा आज पर्यटन के दृष्टिकोण से भी दर्शनीय है। जहां लोग जाकर समय बिताना पिकनिक मनाना पसंद करते है। हरे भरे पेड़ों के बीच पशु पक्षियों की आवाज सुनना शहरी लोगों को पसंद आता है। वे अपने बच्चों को ले जाकर प्रकृति से अवगत करवाते है। गिलहरी, तोता, मैना, कोयल, कौवा, गौरेया, खरगोश, नेवला जैसे जीव जंतुओं से बच्चों को रूबरू करवाने के लिए यह जगह उपयुक्त है।

    मंझियावां पंचायत की मुखिया मालती देवी के अनुसार उनकी पंचायत में स्थित सर्वोदय नगर गांव एक गौरव है। इसकी गाथा तिलक राम व उनके साथ आए बहेलिया समाज के लोगों ने रखी है। कभी वीरान श्मशान रहा नदी तट आज गुलजार बगीचा है। जहां प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगों का आवागमन लगा रहता है। कई देशों के सैलानी भी इस बगीचे में आ चुके हैं। उन्होंने शिकारी बहेलिया के संरक्षक बहेलिया की गाथा को विदेशों तक पहुंचाया है। कभी हाथों में तीर धनुष लिए बहेलिया आज फावड़ा लेकर घूमते देखे जाते है। जल जीवन हरियाली का इससे बड़ा उदाहरण कहां मिलेगा। सरकारी स्तर से भी कई लाभ इन बहेलियों को वर्षों पहले मिला है।


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