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गुरुआ में यूरिया खाद को लेकर किसान परेशान, प्रशासन मौन

गुरुआ। प्रखंड क्षेत्र के आए दिन किसान यूरिया खाद के लिए परेशान चल रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल पा रही है। इससे किसानों को फसल की चिंता सताने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 11:49 PM (IST)
गुरुआ में यूरिया खाद को लेकर किसान परेशान, प्रशासन मौन
गुरुआ में यूरिया खाद को लेकर किसान परेशान, प्रशासन मौन

गुरुआ। प्रखंड क्षेत्र के आए दिन किसान यूरिया खाद के लिए परेशान चल रहे हैं, लेकिन खाद नही मिल पा रही है। गुरुआ बाजार, भरौंधा बाजार या सगाही बाजार की हर खाद दुकान पर किसान सुबह से रात तक खाद के लिए लाइन में खडे़ देखे जाते हैं। दुकानदार के कहने पर आधार कार्ड के साथ लंबी लाइन में किसान लग जाते हैं। जब खाद बंटना चालू होती है तो कुछ घंटों के बाद किसानों को कह दिया जाता है कि खाद खत्म हो गई है। जब दुकान से भीड़ चली जाती है। किसानों को सही ढंग से खाद उपलब्ध कराने में प्रशासन भी दिलचस्पी नहीं ले रहा, जिससे किसानों में कृषि विभाग के अधिकारियों के प्रति रोष व्याप्त है। प्रखंड के बिस्कोमान में खाद आने पर भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा। बाजार के दुकानदारों पर कुछ किसानों द्वारा यूरिया खाद का कालाबाजारी करने का आरोप भी लगाया जा रहा है।

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टनकुप्पा प्रखंड में नहीं दूर हो पा रही खाद की समस्या

टनकुप्पा। धान खेत में लगा है और खाद के लिए किसान भटक रहे हैं, लेकिन इस ओर न तो प्रशासन और ना ही जनप्रतिनिधि का ध्यान है। कहने को किसान केवल अन्नदाता रह गए हैं। किसानों को अगर कहीं से खाद मिल गई तो उसे जंग को जीतने के बराबर समझते हैं। आज तक खाद की ऐसी किल्लत का सामना किसानों को नहीं हुआ था। लाइसेंसी दुकानदारों को भी भरपूर मात्रा में खाद की आपूर्ति नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण किसान सुबह से लेकर रात तक खाद की खोज में भटकते रहते हैं। फिर भी खाद नही मिल पा रही है। मजबूर किसान झारखंड से खाद लाकर खेतों में डाल रहे हैं। प्रखंड के टनकुप्पा, बरतारा, करियादपुर, चोवार, मखदुमपुर, त्रिलोकिचक, बरसौना, महेर, ढिबर, आरोपुर आदि बाजारों में किसानों की भीड़ देखी जा रही है। बारिश होने की वजह से खेतों में खाद डालना किसानों के लिए बहुत जरूरी हो गया है।

प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय प्रसाद ने बताया कि खाद की समस्या को दूर करने का प्रयास विभाग द्वारा करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रखंड को जितना आवंटन मिल रहा है। उसे सरकारी दर पर किसान के बीच वितरण कराया जा रहा है। प्रखंड में आवंटन कम होने से किसानों को दिक्कत हो रही है। बहुत जल्द ही खाद की समस्या को दूर कर दिया जाएगा।


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