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कोरोना की तीसरी लड़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में नहीं है एंबुलेंस

गया कोरोना का खौफनाक मंजर आज भी कईयों के आंखों का नम कर देती है। अभी चंद महीने ही बीते हैं जब बीमार को अस्पताल तक ले जाने के लिए एंबुलेंस ढूंढना पड़ता था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 11:50 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 11:50 PM (IST)
कोरोना की तीसरी लड़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में नहीं है एंबुलेंस
कोरोना की तीसरी लड़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में नहीं है एंबुलेंस

गया: कोरोना का खौफनाक मंजर आज भी कईयों के आंखों का नम कर देती है। अभी चंद महीने ही बीते हैं जब बीमार को अस्पताल तक ले जाने के लिए एंबुलेंस ढूंढना पड़ता था। महज तीन से चार किमी. की दूरी के लिए लोगों को 2 से ढाई हजार रुपए तक देने पड़े थे। सरकारी एंबुलेंस की कमी से जूझते जिले में उस दौर में बिचौलियों ने खूब चांदी काटी थी। गया से पटना मरीज को ले जाने के एवज में निजी एंबुलेंस वाले 8 से 10 हजार रुपए तक मांग रहे थे। कईयों ने अपनो की जान बचाने को जरूरी समझते हुए महंगी कीमत चुकाई थी। कोरोना की दूसरी लहर में जिस कदर एंबुलेंस को लेकर जद्दोजहद हुई थी उस हिसाब से व्यवस्था अब भी दुरुस्त नहीं नजर आती। जिले के सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल में अभी 8 एंबुलेंस हैं। जबकि जरूरत 14 से 15 की है। वहीं शवों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 3 शव वाहन है। इसकी दो और जरूरत है। कई सरकारी एंबुलेंस चालक बताते हैं कि अनेक गाड़ी बहुत पुरानी हो गई है। जिस अनुरूप मेंटेनेंस होना चाहिए वह नहीं हो पाता। लिहाजा कई एंबुलेंस गाड़ी बहुत खराब स्थिति में है। 2012 में जो भी वाहन मिले वह करीब-करीब खराब स्थिति में किसी तरह से चल रहे हैं। एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस में कई सुविधाएं नहीं हैं।

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इस साल जिले को मिले पांच नए एंबुलेंस व शव वाहन

-जिला स्वास्थ्य समिति की बात करें तो कोरोना की दूसरी लहर में कम पड़ते एंबुलेंस की जरूरत को पूरा करने के लिए पांच नए एंबुलेंस मिले। डीपीएम निलेश कुमार की मानें तो जिले में अभी 43 एंबुलेंस व चार शव वाहन हैं। गया जिले की आबादी करीब 54 लाख है। उस अनुरूप से कम से कम 54 एंबुलेंस चाहिए। इसके साथ ही हरेक अनुमंडल क्षेत्र में कम से कम तीन शव वाहन होने चाहिए। जो फिलहाल नहीं हैं।

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एंबुलेंस कर्मियों का दर्द: नहीं मिलता नियमित मानदेय

मरीजों की सेवा में तत्पर रहने वाले एंबुलेंस कर्मियों के समक्ष भी कई परेशानी है। मेडिकल अस्पताल के एक इएमटी ने बताया कि दो माह पर मानदेय मिलता है। इस बार भी दो माह का बकाया है। कोविड-19 काल में जो एक माह का मानदेय मिलने की घोषणा हुई थी वह भी नहीं मिली। एंबुलेंस कर्मियों ने खुद को छोटा स्टाफ बताते हुए नियमित मानदेय देने की मांग की।


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